रोहित साहू - जन्मदिवस पर...राजिम विधायक रोहित साहू के आज जन्मदिवस पर गत डेढ़ साल का लेखा-जोखा - Savdha chhattisgarh
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रोहित साहू - जन्मदिवस पर...राजिम विधायक रोहित साहू के आज जन्मदिवस पर गत डेढ़ साल का लेखा-जोखा


परमेश्वर कुमार साहू@राजिम,गरियाबंद।
छत्तीसगढ़ की प्रमुख धर्मनगरी में से एक है। भगवान राजीमलोचन और कुलेश्वर महादेव का इस पुन्य धरा पर विराजित होने के साथ-साथ चित्रोत्पला गंगा महानदी का यह संगम स्थल अनेक पुरातन वैभव को अपने में समेटे हुए और समृद्ध इतिहास की गौरव गाथाओं से इस नगरी की महिमा भरा पड़ा है। जिसने भी राजिम नगरी की इस महत्ता को कमतर करने की साजिश रची वे सभी आज गुमनामी के धूप अंधेरे में खो गये मालूम पड़ते है। कभी कहा जाता था कि छत्तीसगढ़ में एक कथित बंधुओं के बगैर पत्ता भी नही हिलता उनका आज कोई नामोनिशान तक नही है वही राजिम और उसका वैभव दुनिया के क्षितिज पर अपनी आभा सदा की तरह अनवरत बिखेर रहा है।

राजिम के वर्तमान विधायक रोहित साहू का आज जन्मदिवस है। आज रोहित साहू को विधायक निर्वाचित हुए डेढ़ वर्ष बीत चुके है। उनके समर्थक और प्रशंसकों ने उन्हें क्षेत्र के युवा तेजतर्रार और लोकप्रिय विधायक की श्रेणी में गिनते है। बताया जाता है कि विकास की गाथा लिखने में वे दिन-रात एक किये हुए है। यदि ऐसा है तो हमारी भी कामना है वे शतायु और दीर्घायु हो तथा स्वस्थ व निरोगी रहे।


आज जब विधायक रोहित साहू के कार्यकलापों को लेकर यहा चर्चा कर रहे है तब उन्हें इस कसौटी पर कसना तो जरूरी हो जाता है क्यों कि पुत के पाँव पालने में ही दिख जाता है ऐसी कहावते हमारी यहाँ कही जाती रही है तो जरा देख ले इस पुत के पॉव आज कहा है और उसके संकेत क्या कहते है। सबसे पहले तो राजिम की प्रसिद्धि के साथ सम्झौता कर महोत्सव स्थल को राजिमलोचन के छांव से दूर ले जाकर राजिम और राजिमलोचन मंदिर के हितों के साथ जो कुठाराघात किया गया है वो राजिम और क्षेत्र के लिए एक अभिषाप से कम नही जान पड़ता है। जिस नगरी के साथ राजिमलोचन और कुलेश्वर महादेव की प्रसिद्धि को लेकर पर्यटन स्थल के रूप में राजिम को विकसित किये जाने का प्रस्ताव था उसे बदले की भावना से मेला मैदान की रौनक छीनकर जो कुकृत्य किया है उसके लिए कभी माफ नही किया जा सकता है। जिसपर मेला की भव्यता और दिव्यता को चार-चाँद लगाने का जिम्मा था उसके उलट जो कृत्य किया गया वह भगवान राजिमलोचन और कुलेश्वर महादेव व राजिम धर्मनगरी के प्रति घोर अनास्था का प्रगटीकरण ही सिद्ध हुआ है।

यही नहीं लोकतांत्रिक पद्धति से निर्वाचित एक जनप्रतिनिधि लोकतंत्र के इतर तानाशाडी रवैया दिखाये और आलोचकों और विरोधियों को सबक सिखाने से लेकर जेल भेजने की खुली धमकी देना हो किसी भी लोकतंत्र के प्रहरी को कतई शोभा नही देता है। अपने जन्मदिवस पर एक बार लोकतंत्र का वह पाठ दुबारा अवश्य पढ़े जिस व्यवस्था का ही वे अंग है। और पढ़ने का समय नहीं ना हो तो दुर्भावना व द्वेष के रोग से पीड़ित राहुल गाँधी जैसे नौसिखिये का निरंतर देश विरोधी बयानों और तीखे हमलों के बावजूद प्रधानमंत्री जी का सब्र और लोकतांत्रिक आचरण अनुसरण कर ले तो भी काफी रहेगा।

भ्रष्ट्राचार पर तो हमारे इस जनप्रतिनिधि के उच्च विचार से इन पंक्तियों के लेखक भी कम आर्श्वय चकित नहीं है। एक प्रत्यक्ष भेंट मुलाकात में सरकारी बावू द्वारा रिश्वत मांगे जाने की शिकायत पर यह कहना कि "आजकल तो सब लेते और देते हैं' पार्टी सिद्धांत की तिलांजली देने से कही ज्यादा लोकतंत्र के गाल पर एक जनप्रतिनिधि का करारा तमाचा इसे कह सकते है। पंचायतों में भ्रष्ट्राचार आज अपने चरम पर है। विकास की राशि का बंदरबाट और लूट की खुली छूट मिली हुई जान पड़ता है। ग्रामीण शिकायत लेकर राज्यपाल तक पहुंच जाते है लेकिन शासन व्यवस्था के किसी अंग को इससे कोई फर्क नही जान पड़ता। बावजूद भ्रष्ट्राचारियों को गले लगाने जैसे दोहरे मापदंडो से ही जनता का भरोसा शासन और उसके नुमाइंदो से टूटता जाता है। रेत माफिया, मुरुम माफिया, शिक्षा माफिया और ना जाने कितने प्रकार के भ्रष्ट्राचार के आँतों को हमारे नेता खाद-पानी देकर सिंचते है कहना मुश्किल है। किस तरह से एक उभरते नेता को प्रतिद्वंद्वी मानकर जिला पंचायत का चुनाव हराने षडयंत्र रचा जाता है और उसे अंजाम तक पहुंचाकर गुमनामी में ढकेल दिया जाता है राजिम विधानसभा क्षेत्र की जनता भी यह सब देख दंग है। जनता ने जिसे खास समझा था उसे आम समझ पहले जी भर चुसा और फिर गठुली समझ फेक दिया गया। राजनीति का यह विदुप्र चेहरा आज सबके सामने है। राजनीति आज पैसा बनाने का खेल मात्र रह गया है।

राजिम का सौभाग्य कब उदय होगा कहना मुश्किल है। कब कोई नेता, सरकारी तंत्र से परेशान और हैरान जनता की नब्ज समझ पायेगा। आज राजिम विधायक रोहित साहू का जन्मदिवस है और विगत एक-डेढ़ वर्षों में जो क्षेत्र की जनता ने देखा और समझा है उससे कही पर भी अपेक्षाओं की दृष्टि से कसौटी पर वे खरे नहीं उतरते दिखाई पड़ते है जो मायूस करने वाला है। स्थानीय जनप्रतिनिधि को एक लम्बी पारी के लिए स्वयं को तैयार करने के लिए आत्ममंथन और आत्ममूल्यांकन की आज नितांत आवश्यकता महसूस की जा रही है। उम्मीद है भगवान राजीमलोचन और कुलेश्वर महादेव की अनुकंपा और कृपा की वर्षा इस खास दिन पर होगी जिससे राजिम विधानसभा के भाग्य खुलेगे। ना सिर्फ भाग्य खुलेंगे बल्कि चमकेगे ऐसी आशा है।

राजिम विधानसभा की अमूमन जनता सीधे और भोले भाले है जिसे अपनत्व की और न्याय की प्रथम आवश्यकता है जिसे विपक्षी राज में जमकर रौंदा गया है। ना सिर्फ रौंदा गया है बल्कि कुचला गया है। वे कार्यकर्ता जिन्हें भाजपाई जानकर आगजनी बलवा मारपीट और नृशंस हत्या तक के कष्टों को झेलने बाध्य किया गया। सरकारी तंत्र का दुरूपयोग कर हर तरह से सताया गया। सत्ता प्रतिष्ठान में बैठे सभी का दायित्व है कि निरपराध और निरिह ग्रामीण जिन्हें राजनैतिक मोहरे की तरह इस्तेमाल किया गया उन्हें अब न्याय प्रदान किया जावें। जन्मदिवस की सौगातों में एक मलहम न्याय के नाम पर घोषित हो। राजिम विधानसभा की जनता तो अपना आशीर्वाद जनप्रतिनिधि चुनकर पहले ही रोहित साहू को दे चुका है अब बारी सूद सहित लौटाने की विधायक महोदय की होनी चाहिए जो विकास के रूप में क्षेत्र की जनता को दे। राजिम का चिर पुरातन वैभव को संरक्षित और सवर्धित किया जाकर इसकी जीवंतता को बनाये रखा जाये। जनता जनार्दन की इससे बड़ी सेवा समाहित होगी।

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