छुरा वन परिक्षेत्र के डिप्टी रेंजर को पेड़ पौधों से भरा खड़ा जंगल नही आया नजर ,अपने कर्मचारी को बचाने फर्जी गिदावरी के जांच में कर कर दिया लीपापोती, 8 माह बाद भी जांच में आंच नही,वन विभाग ने खड़े जंगल में बांट दिया पट्टा फिर.... - Savdha chhattisgarh
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छुरा वन परिक्षेत्र के डिप्टी रेंजर को पेड़ पौधों से भरा खड़ा जंगल नही आया नजर ,अपने कर्मचारी को बचाने फर्जी गिदावरी के जांच में कर कर दिया लीपापोती, 8 माह बाद भी जांच में आंच नही,वन विभाग ने खड़े जंगल में बांट दिया पट्टा फिर....



(Sawdhan chattisgarh news @ गरियाबंद)। छुरा वन परिक्षेत्र के अमेठी सर्कल जंगल को उजाड़ करने का  हब बन गया है।इस क्षेत्र में जो भी  डिप्टी रेंजर और बीड गार्ड पदस्थ हुए वो केवल जंगल को बेचने के आलावा अपने कर्त्तव्य को लेकर कभी ईमानदारी नही दिखाए है।इस क्षेत्र के अमलोर,भैरा नवापारा और सजापाली के जंगल में जमकर अतिक्रमण वन विभाग के जिम्मेदारों के सह पर हुआ और खड़े जंगल में ही लोगो को वनाधिकार पट्टा बांट दिया गया।जबकि आज भी हरे भरे पेड़ पौधा इस बात की गवाही दे रही है की किस तरह गैरजिम्मेदारो ने

जंगल को बेचकर खा गए।लेकिन विभाग में ओहदे पदो पर बैठे किसी भी जिम्मेदार अधिकारी ने एसी रूम से बाहर निकलकर इस ओर झांकने की जहमत नहीं दिखाई।वन विभाग के जिन जिम्मेदारो को वनों की सुरक्षा की अहम जिम्मेदारी है वही वनों के भक्षक बन बैठे है।तत्कालीन वन विभाग के अधिकारियों द्वारा वन परिक्षेत्र छुरा के अमलोर,भैरा, साजापाली क्षेत्र में ऐसा ताना बुना की पेड़ पौधों से भरे घने जंगल में वनाधिकार पट्टा वितरण कर जंगल और पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने एक बड़ा खेल खेला।वही    इस जमीन पर किसी भी प्रकार से धान की खेती नही होता क्योंकि आज भी ये घना हरा भरा जंगल है।लेकिन इस जमीन पर यहा पर पदस्थ बिडगार्ड दुलार सिन्हा द्वारा शासन को आर्थिक नुकसान पहुंचाने और सारे निर्देशों के विपरित कार्य करते हुए फर्जी गिदावरी कर दिया और उस जमीन की पर्ची में धान खरीदी केंद्र में धान भी बिक गया।जिसको लेकर प्रमुखता से खबर प्रकाशन कर छुरा वन परिक्षेत्र अधिकारी को अवगत कराया गया था।जिस पर रेंजर द्वारा जांच    के आदेश दिया गया था।जिसमे सतीश सिन्हा डिप्टी रेंजर को जांच अधिकारी बनाया गया था।लेकिन यहा चोर चोर मौसेरे भाई वाली कहावत चरितार्थ होते दिखाई दिया। डिप्टी रेंजर सतीश सिन्हा द्वारा अपने बिडगार्ड को बचाने जांच में पूरी तरह लीपापोती कर दिया।आज 8 माह बीतने के बाद भी इस मामले में कोई कार्यवाही नहीं हुई। ऐसा लगता है की डिप्टी रेंजर सतीश सिन्हा अपने सजातीय बंधु दुलार सिन्हा पर आंच न आने की कसम खाकर उन्हें बचाने पुरजोर कोशिश में लगे है और मामले को झुठलाने में लगे है।वही आज लापरवाह बिडगार्ड दुलार सिन्हा बिडगार्ड से डिप्टी रेंजर प्रमोट हो गए।

आपको बता दे की वन विभाग में दुलार सिन्हा एक ऐसे वन विभाग के कर्मचारी है जिसका कारनामा सुनकर आप भी हैरान हो जाएंगे।इसके द्वारा पहले भी पद में रहते हुए अपने परिवार के नाम से वनाधिकार पट्टा प्राप्त किए है।विजयपुर के क्षेत्र में पदस्थ रहते हुए अपने निवास क्षेत्र में इनके बेटो को वनाधिकार पट्टा मिला है।जिसकी जानकारी विभाग के सभी आला अधिकारियों को है।लेकिन विभाग के अधिकारी इस लापरवाह और गैरजिम्मेदार पर कार्यवाही करने के बजाय मेहरबानी बरत रहे है।जिसके वजह से दुलार सिन्हा वनों की सुरक्षा के नाम पर नही बल्कि इन्हे जंगलों को बेचने के नाम पर वन विभाग प्रमोशन देकर डिप्टी रेंजर बना दिए है।अब देखना ये होगा की डिप्टी रेंजर बनकर जंगल की सुरक्षा करेंगे या फिर सीधा पूरा विभाग को ही बेच खाएंगे।हालांकि छुरा वन परिक्षेत्र कार्यालय के युवा रेंजर एसडी दीवान जंगल और मामलों को लेकर गंभीर और सक्रिय तो जरूर दिखाई देते है और हमेशा वनों की सुरक्षा को लेकर सजग रहकर अपने कर्मचारियों को लगातार दिशा निर्देश देते रहते है।लेकिन फर्जी गिदावरी के मामले में रेंजर साहब द्वारा जांच और कार्यवाही में लेटलतीफी समझ से परे है।वही मामले को लेकर रेंजर श्री दीवान द्वारा पुनः जांच कराने और कार्यवाही का आश्वासन मात्र कोरी कल्पना साबित हो रहा है।ऐसा लगता है की साहब भी मामले को ठंडे बस्ते में ही रहने देना चाहते है।

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