नाम शरद चतुर्वेदी काम गौण खनिज संपदा की भारी मात्रा में करते है चोरी,धमकी पत्रकार को निपटाने की,चुना पत्थर के नाम से खनिज विभाग को सेटिंग कर लिया है लीज और काले पत्थर बेच कर रहे है अवैध काम को अंजाम
100 से ज्यादा अवैध फर्शी पत्थर खदान, जिम्मेदार लापरवाह,यूनियन की धमकी,ब्लॉक मुख्यालय से महज पांच किमी दूर ग्राम पंचायतों में खनिज संपदा का बड़े पैमाने पर दोहन
परमेश्वर कुमार साहू@गरियाबंद।ब्लॉक मुख्यालय से महज पांच किमी दूर ग्राम पंचायतों में खनिज संपदा का बड़े पैमाने पर दोहन हो रहा है। बासीन एव बरभांठा में सौ से भी अधिक जगहों पर अवैध खदानों से पत्थरों का उत्खनन हो रहा है। इन खदानों के सामने ठेकेदार का नाम, लीज आदि की पट्टिका नहीं लगाई गई है। इसके बावजूद खनिज विभाग के अधिकारी ध्यान नहीं दे रहे हैं।विभाग के संरक्षण में ये अवैध धंधा खूब फल फूल रहा है।
मुख्यालय के समीप ग्राम पंचायत बिनौरी, भसेरा, बासीन एवं बरभांठा घनी आबादी वाला क्षेत्र है। उक्त पंचायत क्षेत्र की सीमा में तकरीबन सौ एकड़ से अधिक रकबे में फर्शी पत्थर खनन संचालित है। लंबे अरसे से क्षेत्र में संचालित खदान से निकलने वाले बेशकीमती काले पत्थर को तराशने तकरीबन 50 से भी अधिक फैक्टरियां प्रमुख मार्ग में संचालित हैं।जो एनजीटी के सारे नियम के विरुद्ध है।वही उच्च न्यायालय द्वारा यहां के माइनिंग प्लान को पर्यावरण के दृष्टिकोण के हिसाब से रोक भी लगा चुका है।बावजूद रसूखदारों के साथ खनिज विभाग मिलकर खूब पैसा कमाने में लगे है और शासन की गाड़ी में पेट्रोलिंग के नाम पर केवल सड़क नापने का का कार्य कर रहे है।
आपको बता दे की बासीन एवं बरभांठा पत्थर खदान से निकलने वाले चमकीले काले पत्थर की नगर सहित दूरदराज के महानगरों में भी ऊंचे दर पर मांग है। कोलकाता, मुंबई व राजस्थान में लगातार बड़ रही मांग को लेकर स्थानीय स्तर के व्यापारी काले पत्थर को तराशने व अधिक दाम में बेचने प्रतिस्पर्धा में लगे रहते हैं। दिन ब दिन क्षेत्र में काले फर्शी पत्थर की बढ़ती मांग को लेकर पंचायत क्षेत्र में ठेकेदारों की होड़ लगी रहती है। ठेकेदारों द्वारा चारागाह, मुक्तिधाम एवं आम निस्तार के जमीन तक को भी सुरक्षित नहीं रह पाया है।
खदान के सामने नहीं है पट्टिका
क्षेत्र में संचालित अधिकांशतः खदान के सामने ठेकेदार का नाम, शासन द्वारा लीज में स्वीकृत की गई भूमि व कब से कब तक स्वीकृत है, उत्खनन पट्टिका नहीं है। ग्राम बरभांठा के समीप जीवनदायिनी सरगी नाला नदी भी अवैध उत्खनन की चपेट में है। वहीं खदान क्षेत्र में दूर-दराज से रोटी कमाने आए मजदूरों की परवाह किसी को नहीं है। खदान क्षेत्र में किसी भी मजदूर का पंजीयन व बीमा नहीं है। अगर किसी हादसे में मृत्यु व घटना होने पर गरीब का परिवार स्वयं जिम्मेदार रहता है।
वेस्ट बंगाल जा रहे गाड़ी का किया पड़ताल,पत्रकार को मिला धमकी
बता दे की पश्चिम बंगाल की गाड़ी काला पत्थर लेकर जा रहा था जिसका मीडिया द्वारा पड़ताल कर पिटपास की जानकारी लेने पर पिटपास फर्जी मिला उसके बाद ठेकेदार के द्वारा अपने आप को वकील बताकर धमकी देने के साथ निपटाने की धमकी पत्रकार को दिया फिर फिंगेश्वर निवासी शरद चतुर्वेदी जो खुद नियम के विपरीत खदान का संचालन कर रहा है उसने भी मीडिया को धमकाने का कुत्सित प्रयास किया।जबकि उक्त व्यक्ति चुना पत्थर के नाम से कई सालो से काला पत्थर और गौण खनिज संपदा का दोहन कर रहा है।अब इस मामले में उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटा कर पर्यावरण पर वार करने वाले लोगो के ऊपर कार्यवाही की मांग जाएगी।