छुरा ब्लॉक के ग्राम पंचायत फुलझर के सचिव ममता साहू द्वारा पंचायती राज अधिनियम के सारे कानून,कायदे को ताक में रखकर ग्राम विकास की राशि का कर दिए भुगतान,नियम की जमकर अवहेलना
ग्राम विकास और जनता की राशि में बड़ा डांका,आम जनता है नियम से अंजान,उच्च विभाग को हुआ है शिकायत, पंचायत प्रतिनिधियों के परिवार को किया भुगतान
परमेश्वर कुमार साहू@गरियाबंद।गरियाबंद जिले के आदिवासी बाहुल्य ब्लॉक छुरा में पंचायती राज अधिनियम की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही है।जिसमे जिम्मेदार अधिकारियों की मिलीभगत से इंकार नहीं किया जा सकता।जिसके वजह से शासन द्वारा ग्राम विकास के लिए ग्राम पंचायत को दिए जा रहे राशि भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रहा है और सचिव माला माला होते जा रहे है व हकीकत ये है की गांव व पंचायत में कोई भी विकास कार्य धरातल पर नही दिख पा रही है।
कुछ ऐसा ही मामला ग्राम पंचायत फुलझर में देखने को मिला है। जहा जिम्मेदार पद पर पदस्थ सचिव ममता साहू द्वारा शासन द्वारा ग्राम विकास के लिए राशि में हेरा फेरी करते हुए फर्जी बिल के माध्यम से लाखो रुपए की राशि नियम विरुद्ध भुगतान किए है और उपसरपंच व पंच के परिवार को भी नियम के बाहर भुगतान किया गया है।आपको बता दे की विश्व स्तरीय महामारी कोरोना काल के दौरान जब पूरे आवाम डर से घरों में दुबके थे,तो सचिव के लिए पूरा दुकान खुला हुआ था।जबकि पूरे देश भर में इमरजेंसी सुविधा को लेकर सभी दुकान बंद था।वही छुरा ब्लॉक के ग्राम पंचायत फुलझर में लाखो रुपए की हेरा फेरी का मामला सामने आया है।जिसकी लिखित शिकायत जनपद पंचायत छुरा को किया जा चुका है।।आखिर सवाल ये है की लाखो रूपए की हेरा फेरी करने के बाद भी चोरी और सीना जोरी का आडिया कहा से आता है।।कभी कभी तो पत्रकारों को फर्जी भी बोल दिया जाता है।आपको पुनः बता दे की सचिव ममता साहू शुरू से ही भ्रष्टचार में संलिप्त है ।जिस पर उचित कार्यवाही विभाग से नही होने से इसके हौसले बुलंद है। मामले में लापरवाही इस कदर है की शासन की राशि को डकारने के मामले में उक्त सचिव को जेल के सलाखों में भेजने की सजा भी कम है।क्योंकि उन्होंने जनता और शासन की योजना के साथ बड़ा खिलवाड़ किया है।वही वर्तमान में भी पंचायती राज अधिनियम व्यवस्था के विपरीत भुगतान कर साबित कर दी है कि कानून उसके लिए मायने नहीं रखता।वही मामले की जानकारी देने पर एसडीएम छुरा द्वारा उचित जांच कर दोषियों के ऊपर कार्यवाही की बात ही है। आपको पुनः बता दें कि उक्त सचिव तबादला नीति के नियम विरुद्ध सालों से से जमे हुए है।