रबी फसल के लिए सिकासार से पानी छोड़ने की मांग,कछुआ गति से चले रहे नहर लाइनिंग कार्य बना किसानों के लिए जी का जंजाल - Savdha chhattisgarh
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रबी फसल के लिए सिकासार से पानी छोड़ने की मांग,कछुआ गति से चले रहे नहर लाइनिंग कार्य बना किसानों के लिए जी का जंजाल

 .विभाग के जिम्मेदारों की वजह से भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रहा है नहर का काम, किसान तीन सालो से कर रहे है रबी फसल के लिए पानी का इंतजार.


परमेश्वर कुमार साहू @गरियाबंद
।पांडूका और फिंगेश्वर क्षेत्र के किसानों को सिकासर बांध में प्रयाप्त पानी होने के बावजूद भी रबी फसल के लिए नहर में पानी नहीं मिल पाया।किसान तीन साल से रबी फसल का इंतजार कर रहा है।पैरी नहरों में जल संसाधन विभाग द्वारा करोड़ो की लागत से कराए जा रहे नहर लाइनिंग कार्य कछुआ गति से चल रहा है।जो तीन सालो में पूरा नहीं हो पाया है।जो किसानों के लिए रबी फसल के लिए सबसे रोड़ा बन गया है।विभाग के जिम्मेदार अधिकारी और ठेकेदार की लापरवाही को किसान भुगत रहे है।इसके बावजूद भी क्षेत्रीय विधायक, जनप्रतिनिधि सहित नेताओ को अन्नदाताओं और सरकार की इस महत्वपूर्ण निर्माण कार्य से कोई सरोकार नहीं है।इस सीजन में मौसम और बीमारी की वजह से खरीफ फसल का उत्पादन कम होने से किसानों को काफी नुकसान झेलना पड़ा है।जो किसानों के माथों में चिंता की साफ लेकर दिखाई दे रही है।इसके बावजूद किसी भी जिम्मेदारों को इस और ध्यान नहीं है।वही करोड़ो की लागत से चल रहा नहर लाइनिंग का कार्य भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रहा है।निर्माण कार्य हुए साल भर भी नही हुआ है और अभी जगह जगह टूटना शुरू हो गया है।ठेकेदार द्वारा विभाग के साथ मिलीभगत कर बनाए गए गुणवत्ताहीन निर्माण कार्य में जगह जगह भ्रष्टाचार की दरारें साफ तौर पर दिखाई दे रही है।नहर लाइनिंग कार्य में विभाग के अधिकारी सहित ठेकेदार मालामाल हो गए है।तो वही ठेकेदार नहर लाइनिंग को आधा अधूरा छोड़ फिल्म बनाने में लग गए है। नहर का कार्य अधूरा होने से किसानों को खासे परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।किसान तीन सालो से रबी फसल के लिए पानी मांग करते थक चुका है लेकिन इनकी फरियाद हर बार अनसुनी की जा रही है।एक बार फिर पाण्डुका सहित फिंगेश्वर क्षेत्र के किसान रबी फसल के लिए पानी मांग कर रहे है।अब देखना ये होगा की क्या शासन प्रशासन इस और कितना ध्यान देता है या फिर विभाग को भ्रष्टाचार करने का एक और मौका देंगे या फिर चुनावी हथकंडा अपनाकर किसानों का दिल जीतने का प्रयास।

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