क्या बीजेपी कभी एक रिक्शा चालक के बेटे को टिकट देकर प्रतिनिधित्व का मौका दे पाएगी?युवाओं की पहली पसंद रेशम कुर्रे ,क्षेत्र में उठ रही बीजेपी से लोकल प्रत्याशी की मांग
.आम जनता का कहना रेशम के छोड़ कोई दूसरा ऑप्शन नही त्रिकोणीय चुनावी सुगबुगाहट तेज
रायपुर । अभी विधानसभा चुनाव को लगभग एक वर्ष बचे हुए है पर इन दिनों क्षेत्र में चुनावी सरगर्मी अभी से तेज होते दिखाई दे रही । नए नए टिकीटार्थी अभी से टिकट की दौड़ में लगे हुए हो फिर चाहे वह बीजेपी के हो या कांग्रेस के या फिर बसपा के । इन पार्टियों के मध्य मानो टिकट के लिए होड़ लगी हो ।
ऐसे में टिकट के इस दौड़ में एक जाना पहचाना नाम आता है रेशम कुर्रे का जो पूर्व में जिला पंचायत सभापति रह चुके है और वर्तमान में भाजपा मण्डल सरसींवा के महामंत्री है । रेशम कुर्रे एक रिक्शा चालक के सुपुत्र है और सामाजिक कार्यो में हमेशा सक्रिय भूमिका निभाते है । राजनीति में रहकर हर समय हर वर्ग के लोगों के समस्याओं के निराकरण में लगे होते है । उल्लेखनीय है कि जब श्री कुर्रे ने जिला पंचायत चुनाव लड़ा था तब क्षेत्र के हर वर्ग के लोगो ने चुनावी खर्च हेतु स्वमेव चंदा कर रेशम कुर्रे को भारी मतों से चुनाव जिताया था । जहाँ अब क्षेत्र के लोगों खासकर युवाओं के जुबान पर विधायक के लिए रेशम कुर्रे का नाम गूंज रहा । इस समय क्षेत्र के युवाओं की पहली पसंद रेशम कुर्रे बने हुए है,जहां क्षेत्र के गांव गांव के युवा रेशम को विधायक के रूप में देखना चाहते है । वैसे आर्थिक स्थिति के कारण रेशम का राजनैतिक सफर काफी चुनौतीपूर्ण रहा है परंतु लोगो के विश्वास और सहयोग से इन्होंने हमेशा आगे बढ़ना सिखा है और राजनीति के साथ सामाज सेवा को सर्वोपरि समझा है। जहां लोगो ने इन्हें सराहा और चाहा भी है और क्षेत्र के गरीब किसान और युवा वर्ग के बीच काफी लोकप्रिय भी है।
यहाँ यह बताना लाज़मी होगा कि श्री कुर्रे एक गरीब घर से संबंध रखते है और पिछले 21 वर्षों से राजनीति में सक्रिय है, जहाँ इनकी सरलता और विनम्रता ही इनकी पहचान है । ज्ञात हो कि एक गरीब घर से होने के बावजूद भी क्षेत्र के युवा हमेशा रेशम का साथ देते है और रेशम के पास गांव गांव में युवा टीम और लोगो का सपोर्ट है। जिससे इनकी दावेदारी भी मजबूत है । पर आलम यह है कि क्षेत्र के बीजेपी के बड़े नेता अपने वर्चस्व बनाये रखने के लिए कभी नही चाहेंगे कि किसी क्षेत्रिय को दावेदारी का मौका मिले और ऐसा हो भी रहा है कि रेशम क्षेत्रीय नेताओं के द्वारा बहुत कुछ नजरअंदाजी अभी झेल रहे और आम जनता,बुद्धिजीवियों,किसानों के दम पर अकेले चुनावी रण में कूद पड़े है ।
पर सवाल ये है कि बड़े बड़े दिग्गज जो रुपयों के दम पर चुनाव लड़ते है ऐसे में बीजेपी क्या एक गरीब घराने के एक रिक्शा चालक के पुत्र को टिकट देकर प्रत्याशी बना पाएगी ? ज्ञात हो कि रेशम की दावेदारी इस समय मजबूत है जिसका एक कारण क्षेत्र में इनकी और इनके युवा टीम की सामाजिक सक्रियता भी है । यदि बीजेपी इनपर भरोसा करती है तो निश्चित ही बिलाईगढ़ विधानसभा में बीजेपी को जीतने से कोई नही रोक सकता क्योंकि रेशम एक क्षेत्रिय प्रत्याशी होंगे और वर्तमान सरकार और वर्तमान विधायक के कुनीतियों और झूठे वादो के गढ़े पुलिंदों से रुष्ठ कार्यकर्ताओं और आम जनता के रोश का सीधा लाभ इन्हें मिल सकता है । बिलाईगढ़ विधानसभा में 4 वर्ष बीत जाने पश्चात अभी वर्तमान स्थिति यह है कि घोषणा और विकास केवल कागजों या समाचारों में दिखता है धरातल पर सब शून्य नजर आता है । विडम्बना यह है कि अनुसूचित जाति बाहुल्य इस क्षेत्र में सीट आरक्षित है यहाँ अनु. जाती के नेता होते हुए भी आज बिलाईगढ़ विधानसभा क्षेत्र विकास से कोसो दूर नजर आता है। वर्तमान विधायक की कार्यशैली से नाखुश जनता एवं किसान इस बार पुनः परिवर्तन का रास्ता चुनना चाहते है । ऐसे में बीजेपी यदि मजबूत दावेदारी को प्राथमिकता दे तो रेशम पर दांव लगा सकती है और निश्चित ही बिलाईगढ़ विधानसभा में जीत का परचम लहरा सकती है।