गरियाबंद जलसंसाधन विभाग बना भ्रष्टाचार का गढ़, नहर लाइनिंग कार्य के नाम पर करोड़ों का घोटाला,15 साल पहले हुए भ्रष्ट कार्य की पुनः पुनरावृत्ति,पांच साल में भी नही हुआ नहर लाइनिंग का कार्य
अधिकारी और ठेकेदार की मिलीभगत से दिख रही भ्रष्टाचार की दरारें, ठसनबाज गैरजम्मेदार अधिकारी हफ्ते में आते है एक दिन, राजधानी मॉनिटरिंग...
परमेश्वर कुमार साहू@गरियाबंद।शासन द्वारा किसान और आम जनता के हित के लिए अनेकों योजना बनाकर करोड़ो अरबों की राशि जलसंसाधन विभाग को दे रहे है।ताकि इसका समुचित लाभ आम नागरिक और किसानों को मिल सके।लेकिन जलसंसाधन विभाग की भ्रष्ट नीति शासन की योजना को पूरी तरह से पलीता लगाने का कार्य कर रहा है।विभाग के अधिकारी ठेकेदार के साथ सांठ गांठ कर और घटिया निर्माण कर करोड़ो का व्यारा न्यारा करने में लगे है।लेकिन उच्च अधिकारियों सहित जनप्रतिनिधियो को इस ओर कोई ध्यान नही है।नतीजन अधिकारी व ठेकेदार घटिया निर्माण कार्य कर शासन को करोड़ो का चूना लगा रहे है और अपना जेब गर्म करने में लगे है।
गरियाबंद जिला अंतर्गत आदिवासी बाहुल्य ब्लॉक छुरा में जल संसाधन विभाग अंतर्गत दर्जनों निर्माण व विकास कार्य स्वीकृत हुए है।जो कछुआ गति से भी धीमी चल रहा है। जलसंसाधान उप संभाग छुरा अंतर्गत चल रहे जितने भी निर्माण व विकास कार्य है उसमे भ्रष्टाचार की बू आ रही है।पीपरछेडी बांध व नहर निर्माण कार्य से लेकर टेंगनाही बांध से माइनर लाइनिंग कार्य सहित खरखरा जलाशय अंतर्गत माइनर नाली व कनेशर बांध में चल रहे माइनर नाली निर्माण में चल रहे लाइनिंग कार्य में विभाग के जिम्मेदार अधिकारी और ठेकेदार जमकर अनियमितता बरत रहे है और कमीशन खोरी कर शासन की अति महत्वाकांक्षी योजना में बंदरबाट करने में लगे है।पूरा कार्य स्टिमेंट के विपरीत कार्य भ्रष्ट नीति पर चल रही है।जिसमे छुरा,पांडुका एसडीओ सहित कार्यपालन अभियंता बर्मन की भ्रष्ट नीति से इंकार नहीं किया जा सकता।जिसका भुगतना आम नागरिक को रही है।सरकार की न खाऊंगा और न खाने दूंगा की नीति गरियाबंद जिला में पूरी तरह से फेल। होता नजर आ रहा है।
मामले को लेकर उक्त विभाग के अंतर्गत चल रहे सभी कार्यों का पड़ताल किया गया। जहा एक बड़ी लापरवाही देखने को मिला। टेंगनाही माइनर नाली व फिंगेश्वर मुख्य नहर सहित लायनिग कार्य हुए साल भर भी नही हुआ और जगह जगह भ्रष्टाचार की दरारें अभी से दिखने लगा है। तत्कालीन अधिकारी द्वारा जमकर लापरवाही को अंजाम दिया गया है।पिपरछेड़ी का बांध और नए नाली निर्माण में अनेक प्रकार की लापरवाही विभाग के जिम्मेदारों की पोल खोल रहा है। ऐसे कई दर्जनों मामले विभाग में है जो विभाग के अधिकारियों की भ्रष्ट नीति को उजागर कर रहा है। ऐसे कईयों इस विभाग में दर्जनों मामला है जिसका पड़ताल कर जल्द ही खुलासा किया जाएगा।
अंगद की तरह पैर जमाए बैठे है विभाग के अधिकारी
आपको बता दे की जलसंसाधन विभाग छुरा एसडीओ सहित ईई के जिम्मेदार पद पर पदस्थ अधिकारी जो लगभग सालो से अधिक समय से एक जगह जमे हुए है।जिसका उच्च अधिकारियों सहित आला नेताओं से अच्छी पकड़ होने से आज तक इसका स्थांतरण नही हो पाया।जिससे तबादला नीति का जमकर धज्जियां उड़ा है।दिलचस्प बात ये है की उक्त अधिकारी पहुंच और पावर के साथ भ्रष्टाचार को भी बखूबी अंजाम देता है।शुरू से ही यह अधिकारी भ्रष्टाचार में संलिप्त है।जिसके वजह से चमचमाती गाडियां व बंगला आसानी से देखा जा सकता है।वही इसकी लापरवाही और ठसनबाजी इतनी है की ये कभी दफ्तर में भी नही मिलते और न ही अपने सरकारी क्वार्टर में भी नही रहते।90 किलोमीटर दूर रायपुर से कार्यों की मॉनिटरिंग केवल दस्तावेजों में करते है।कुल मिलाकर कहा जाए की उक्त गैरजिम्मेदार लापरवाह अधिकारी भ्रष्टाचार में संलिप्त होकर इसे बढ़ावा देने में लगे है।लेकिन देश की सबसे बड़ी एजेंसी ईडी की इस ओर कभी ध्यान नहीं गया।वही मामले को लेकर ईई बर्मन को उसका पक्ष जानने उसके मोबाइल नंबर पर कॉल करने पर फोन उठाना भी उचित नहीं समझा।
आपको बता दे की आदिवासी बाहुल्य ब्लॉक छुरा में जलसंसाधन विभाग में पदस्थ एसडीओ पुनीत सिरमौर हमेशा दफ्तर से गायब रहते है।मीडिया की पड़ताल में आज तक कभी भी दफ्तर में बैठे नही मिला।जिसके वजह से किसान सहित आम नागरिकों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।उक्त विभाग के गैरजिम्मेदार अधिकारी सरकार की गाड़ी और पेट्रोल का दुरुपयोग कर केवल सड़क नापने के साथ भ्रष्ट नीति का उपयोग कर करोड़ों कमाने में लगे है।जबकि शासन द्वारा इन लापरवाह अधिकारियों को मुंहमागी वेतन के साथ हर सुविधा उपलब्ध करा रहे है।फिर ये अधिकारी अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे है और अपने कर्तव्यों के विपरीत कार्य करने पर उतारू हो गए है।