गरियाबंद की धरती को निगल गया अजगर,मंत्री के रिश्तेदार होने का धौंस दिखाकर गौण खनिज संपदा का जमकर दोहन ,विभाग के सरपरस्ती में करोड़ रुपए की रायल्टी की चोरी
.खनिज विभाग की मेहरबानी का आलम ठेकेदार की पौ बारह, प्रशासन मूकबाधीर बना.
परमेश्वर कुमार साहू गरियाबंद। गरियाबंद जिले की खनिज विभाग तो जन्मजात अंधा बहरा गूंगा है ही अब जिला प्रशासन को सांप सूंघ गया प्रतीत होता है। जिले का प्रशासन कुंभकर्णी नींद से कब जागेगा कहना मुश्किल है। मामला जिले के प्रसिद्ध तीर्थ स्थल जतमाई देवी से होकर गुजरने वाली पाण्डुका,जतमाई ,मडेली,मुड़ागाँव मार्ग का चौड़ीकरण और पुननिर्माण कार्य में ठेकेदार को लूट की खुली छूट देने का है।
लगभग 38 किमी लम्बाई का यह सड़क निर्माण कार्य पिछले चार साल से कछुओं की चाल से चल रही है जिसके लिए शासन द्वारा 1 अरब आठ करोड़ रुपए की राशि शासन द्वारा स्वीकृत की गई है, वह अलग ही मामला है फिलहाल तो इस निर्माण कार्य से जुड़े ठेकेदार की मनमानी और उस पर गरियाबंद का खनिज विभाग की मेहरबानी का आलम और जुगलबंदी देखते ही बनती है। शासन चाहे लाख नियम और शर्ते बना ले अधिकारी कमाई का रास्ता निकाल ही लेते है। ठेकेदार को अनुचित लाभ पहुचाने का यह मामला मुरूम खनन से शुरू होता है जो ना जाने कहा रूके कहा नही जा सकता है। शासन को चूना लगाने का खनिज विभाग ठान रखा मालूम पड़ता है।इस ठेकेदार को वैसे तो प्रदेश सरकार के एक वरिष्ठ मंत्री का रिश्तेदार (भाई) बताया जाता है जैसा सुत्रो से ज्ञात हुआ है। इससे तो यह मामला "जब सैया भये कोतवाल तो डर काहे का" वाली कहावत चरितार्थ होता है और तब प्रशासन की निष्क्रियता भी समझ में आता है।जिसके चलते जिले के आदिवासी बाहुल्य ब्लॉक छुरा के सांकरा में खुलेआम मुरूम की अवैध खुदाई व परिवहन चल रहा है।जिससे शासन को करोड़ों रूपए की राजस्व की हानि हो रही है।
मुरूम खुदाई के लिए किसानों के जमीन का इस्तेमाल
मामला कुछ यू है कि इस ठेकेदार ने अपने रसूक का पूरा इस्तेमाल करते हुए उक्त निर्माण कार्य में उपयोग होने वाले मुरूम के लिए खनिज विभाग के अधिकारियों से मिलीभगत किया और फिर ग्राम गाड़ाघाट के किसान और ग्रामीणों की नीजि जमीन से मुरूम उत्खनन कर शासन को रायल्टी से मिलने वाली लाभ को दरकिनार कर ठेकेदार को अनुचित लाभ पहुचाया गया है। ग्रामवासियों को ठेकेदार से उनकी जमीन पर मुरूम के बदले मिट्टी डालकर देने के आश्वासन का पता ग्रामीणों से बातचीत में जरूर चला है। जो कि भोले भाले किसानों और ग्रामीणों को प्रलोभन का एक और मामला कुछ समय बाद उभर कर आयेगा जब यह निर्माण कार्य पूर्ण होगा और तब ठेकेदार जा चुका होगा।
ग्रामीण जिन्होने अपने निजि जमीन को पिछले एक साल से मुरूम खनन के लिए बिना कोई लिखा पढ़ी के मात्र मौखिक आश्वासन पर दे रखे है वो आज बेबस और लाचार है कल की क्या गारंटी कि उनकी लगभग 8-10 एकड़ जमीन में जो धडल्ले से खुदाई हो रही है वही कल प्रशासन के पास न्याय के लिए भटकते नजर नही आयेगे तब इनका कोई सुनने वाला नही होगा। जाहिर है जो खनिज विभाग आज मिलीभगत से ठेकेदार को अनुचित लाभ पहुचा रहा है और जो प्रशासन मूकबधीर की भूमिका में है कोई न्यायसंगत कार्यवाही ही कर पाये।स्थानीय ही नहीं जिला प्रशासन में बैठे बड़े अधिकारी उक्त प्रकरण पर कब जाकर नींद से जागेंगे और शासन को हो रही रायल्टी की नुकसान के लिए जिम्मेदारी तय करेंगे कहना मुश्किल है। हॉ जरूर ठेकेदार की पौ-बारह है इसमें कोई संदेह नही ।वही इस मामले को लेकर जिला खनिज अधिकारी फागू राम नागेश को जानकारी लेने फोन किया गया।लेकिन उन्होंने फोन उठाना जरूरी नहीं समझा।
वर्जन 1
मामले की जानकारी आपके माध्यम से मिला है।संज्ञान में ले रहा हूं।दिखवाता हूं।
आकाश छिकारा,कलेक्टर,गरियाबंद।