भ्रष्टाचार में डूबा पिथौरा जल संसाधन उपसंभाग विभाग! करोड़ों की किसान हितैषी सिंचाई योजना में घटिया निर्माण - Savdha chhattisgarh
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भ्रष्टाचार में डूबा पिथौरा जल संसाधन उपसंभाग विभाग! करोड़ों की किसान हितैषी सिंचाई योजना में घटिया निर्माण

.विभाग में अधिकारियों की करप्ट कारगुजारियों नीति पर कब तक नेता मंत्री रहेंगे मौन,जल्द होगा मामले पर और खुलासा.


परमेश्वर कुमार साहू@महासमुंद/रायपुर।
ठेकेदार के मनमर्जी के आगे सरकार और प्रशासन नतमस्तक होते दिखाई दे रहा है। जलसंसाधन संभाग महासमुंद परियोजना के अंतर्गत पिथौरा जल संसाधन उपसंभाग में चल रहे माइनर नाली नहर सीसी लाईनींग कार्य में भारी भ्रष्टाचार और आर्थिक अनियमितता की बोलती कहानी यह बया कर रही है कि विभाग के अधिकारी और ठेकदार केवल भ्रष्टाचार कर आम नागरिकों और जनता के पैसों को लूटने जन्म इस धरती लोक में लिए है। अनुविभागीय कार्यालय पिथौरा में चल रहे कार्य में सारे नियम कायदे को ताक में रखकर ठेकेदार और विभाग के जिम्मेदार अधिकारी घटिया काम को अंजाम देकर मोटा मॉल कमाने में लगे है।इससे पहले भी कई मामले प्रकाश में चुका है। मगर विभाग के उच्च अधिकारी की कमीशनखोरी के चलते गुणवत्ताहीन कार्य को मूर्तरूप दिया जा रहा है।

आर्थिक अनिमियता भ्रष्टाचार की  शिकायत के बाद भी शुरू कार्य में बगैर ड्रेन और पोरस ब्लाक बनाए घटिया निर्माण कर नहर सीसी लाइनींग कार्य का निष्पादन कराया जा रहा है।गौरतलब है कि जिन जिम्मेदार अधिकारीयो को विकास और निर्माण कार्यों की मॉनिटरिंग करने की अहम जिम्मेदारी वो केवल सरकारी वाहन में सड़क नापने के बस डीजल पेट्रोल बर्बाद करने में लगे है।जबकि इन गैर को शासन द्वारा मुंहमांगे वेतन के साथ सारी सुविधा दी जा रही है फिर भी ये जिम्मेदार अपने कर्तव्यों के विपरीत कार्य करने से बाज नहीं आ रहे है।अब सवाल ये है कि आखिर कब सुधरेगा प्रशासन और कब सुधरेगी व्यवस्था?इसका तो भगवान मालिक है।पर हा पिथौरा सिंचाई विभाग के जिम्मेदारों पर कार्यवाही तो जरूर होना है।


बता दे कि जिम्मेदार मुख्य तकनीकी परीक्षक (सतर्कता),मुख्य अभियंता, अधीक्षण अभियंता,मिट्टी पदार्थ गुण नियंत्रक और विभागीय अमले मुकदर्शक बने हुए हैं।वही उक्त मामले  उच्च स्तरीय जांच के लिए उच्च विभाग को लिखित शिकायत हो चुका है।तो वही मामले पर पक्ष जानने पिथौरा एसडीओ और महासमुंद को उनका पक्ष जानने फोन किया गया लेकिन उन्होंने फोन उठाना जरूरी नहीं समझा।

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