प्रधानमंत्री ग्राम सड़क चढ़ा भ्रष्टाचार की भेंट,अधिकारी खुद बन बैठा ठेकेदार - Savdha chhattisgarh
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प्रधानमंत्री ग्राम सड़क चढ़ा भ्रष्टाचार की भेंट,अधिकारी खुद बन बैठा ठेकेदार

 कमीशन के चक्कर में स्टीमेंट को कर रहे दरकिनार,सब इंजीनियर रवि शंकर देवांगन कर रहे है गुणवत्ताहीन सड़क का निर्माण,क्या ये भी की अधिकारी करोड़ पति बनने की जल्द तैयारी में है पढ़े पूरी खबर...


परमेश्वर कुमार साहू@गरियाबंद/रायपुर।
सरकार की अति महत्वाकांक्षी योजना प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना को भ्रष्टाचार का दीमक अंदर ही अंदर खोखला कर रहा है। पूरे प्रदेश में इस योजना के तहत बनाई गई सड़कें भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई हैं। कुछ महीने पहले बनी कुछ किमी की सड़कों में ही जगह-जगह दरारें आ गई है। करोड़ों रुपये की लागत से सड़क का निर्माण किया जा रहा है जिसमें नियम-कायदे ताक पर रखे जा रहे हैं। प्रति वर्ष नई पक्की सड़क और पुराने जर्जर सड़कों के निर्माण के लिए शासन द्वारा विभाग को करोड़ों रुपए की राशि छत्तीसगढ़ के अधिकांश जिलों को मिलती है लेकिन ठेकेदार और अधिकारी मिलकर सड़क का घटिया निर्माण कर शासन को करोड़ों का चूना लगा रहे हैं। जिसे कोई देखने सुनने वाला नहीं है। कई जिलों में हाल ही में बने दर्जनों सड़कों पर दरारें नजऱ आने की सूचना मिल रही है। सावधान छत्तीसगढ़ को ऐसी कई सूचनाएं मिली हैं, लेकिन अधिकारियों तक कैसे सूचना नहीं पहुंच रही यह आश्चर्यजनक है। निर्माण कार्य में शासन द्वारा तय मापदंडों की अनदेखी करते हुए प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में पक्की सड़कों का कार्य बदस्तूर जारी है। जिससे सड़कों की मजबूती पर सवाल खड़ा हो रहा है। अधिकारियों के पास शिकायत करने पर शिकायत का निराकरण वही कर दिया जाता है। गरियाबंद जिले के आदिवासी बाहुल्य ब्लॉक छुरा अंतर्गत बन रहे  ग्रामीण सड़कें प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के नाम पर भ्रष्टाचार की लगातार शिकायतें मिल रही हैं। लेकिन सरकार इसे संज्ञान में लेने की जगह इसकी अनदेखी कर रही है।  जिससे नवनिर्मित सड़कें उबड़-खाबड़ हैं और धसने लगी हैं। सड़क निर्माण में अधिकारियों की मिलीभगत से ठेकेदारों ने भारी लापरवाही की है।

जनता की मांगों को किया गया अनसुना

क्षेत्र में हर रोज बड़ी संख्या में ग्रामीणों की आवाजाही होती है, जो प्रधानमंत्री सड़क योजना के तहत बनाई गई पक्की सड़कों का इस्तेमाल करते हैं। इस मार्ग पर हजारों लोगों की आवाजाही होती है। क्षेत्र की जनता को उम्मीद थी कि इस सड़क को नए सिरे से बनाया जाएगा और नालो में सममर्सिबल ब्रिज का निर्माण किया जाएगा। लेकिन विभाग द्वारा पुरानी टूटी-फूटी सड़क पर ही डामर का लेप चढ़ाकर जनता की उम्मीदों को गहरा झटका देकर निर्माण कार्य में लीपापोती कर दी जाती है। इन सड़कों पर जगह-जगह क्षतिग्रस्त पुल-पुलिया भी हैं। उन पुल-पुलियों को भी सिर्फ मरम्मत करके छोड़ दिया गया है जबकि ग्रामीणों एवं जन प्रतिनिधियों का कहना है कि इन पुल-पुलियो का नए सिरे से निर्माण होना था, लेकिन ठेकदारों ने मरम्मत कर ही उसे कागजों में नया बता दिया।

योजना में गुणवत्ताहीन काम

करोड़ों रुपए की लागत से बनने वाली ये सड़कें स्तरहीन और निम्न दर्जे की बन रही है जिसमें विभाग के सब इंजीनियर रवि शंकर देवांगन और जिला अधिकारी की लापरवाही खुलकर सामने आ रही है।वही एमबी रिपोर्ट के विपरीत कार्य कर सड़क निर्माण का कार्य जारी है।जिसकी जांच के लिए उच्च विभाग को लिखित शिकायत हो चुकी है।सड़क निर्माण में विभाग के अधिकारी और ठेकेदार कमीशन कमाने जमकर खेल खेल रहे है।तो वही जिन सड़कों को कम से कम 5 साल के लिए अच्छी स्थिति में होने का दावा विभाग कर रहा है, उन सड़कों का आलम यह है कि बनने के 5 दिन बाद ही, साधारण हाथों से सड़कें उखड़ रही है। गरियाबंद जिले के छुरा ब्लाक में बनी सड़कों का ज्यादातर हिस्सा गुणवत्ताहीन है. जो बनने के कुछ समय बाद ही उखडऩे लग गया है। सीलिंग कोट होने के बाद भी सड़क उखड़ रही है. जबकि जिस सड़क को फाइनल कर दिया गया है वह भी साधारण हाथों से ही उखड़ रही है. ग्रामीणों ने ठेकेदार की मनमानी और गुणवत्ताहीन काम की शिकायत सीधे मीडिया से की. मौके पर मीडिया ने भी यह पाया की सड़कें पूरी तरह गुणवत्ता हीन है. ग्रामीण भी मानते हैं कि ऐसी सड़क का 5 साल चलना नामुमकिन है।

निर्माण एजेंसी को अफसरों का संरक्षण

ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि घटिया निर्माण कार्य की जानकारी विभागीय अफसरों को है। इसके बाद भी कार्रवाई करने के बजाय हाथ में हाथ धरे बैठे हुए हैं। निर्माण एजेंसी को विभागीय अफसरों का संरक्षण मिल रहा है। ग्रामीणों ने यह भी आरोप लगाया है कि ठेकेदार द्वारा गुणवत्ता का ध्यान नहीं रखा गया जिससे सड़कों में दरार आनी शुरू हो गई है। चंद महीनों में सड़कें धंसकने के साथ डामर भी उखडऩे लगा है।

विभागीय अधिकारी दे रहे भ्रष्टाचार में साथ

नियम अनुसार सड़क निर्माण की शुरुआत में मुरुम को बिछाते हुए हर एक परत में पानी से भिगोकर प्रेसर रोलर से मुरम को दबाया जाना होता है मगर ठेकेदार ने मुरम की अवैध खनन कर उक्त सड़क की वेस बना डाला मगर पानी की एक बूंद भी सड़क में नही डाला गया न ही रोलर चलाया गया ग्रामीणों के विरोध करने के बाद भी ठेकेदार अपने मनमानी से घटिया सड़क निर्माण कर रहे है और ऐसा गुणवत्ता हीन निर्माण तभी संभव है जब विभागीय अधिकारियों का साठ गांठ हो। कमीशन खोरी के लिए अधिकारी भुगतान में लेट-लतीफी करते हैं जिससे सड़कों का निर्माण पूरा होने में विलंब भी होता है और मनमाफिक कमीशन मिलने पर अधिकारी पेमेंट जारी करते हैं जिसके बाद ही ठेकेदार काम आगे बढ़ाते है वो भी महज सड़क बनी है यह दिखाने के लिए।

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