पाण्डुका के कन्या शाला का मामला:आदर्श आचार संहिता का खुलेआम उल्लंघन,शिक्षक ने बताई अपनी पारिवारिक समस्या तो छीन लिया मोबाइल,सारे नियमो को ताक में रखकर कर दिया सहायक शिक्षक को कार्यमुक्त,आखिर किसने किया अपने अधिकार का दुरुपयोग और समाज को शिक्षा देने वाले शिक्षकों की क्या है कारनामा ,पढ़े पूरी खबर...
परमेश्वर कुमार साहू गरियाबंद।शिक्षको को सबसे शिक्षित कहा जाता है।एक शिक्षक अपने जीवन के अंत तक मार्गदर्शक की भूमिका अदा करता है और समाज को राह दिखाता रहता है, तभी शिक्षक को समाज में उच्च दर्जा दिया जाता है। माता-पिता बच्चे को जन्म देते हैं। शिक्षक का कार्य है कि वह बालक की मूल प्रवृत्तियों में सुधार करके उसे समाज तथा राष्ट्र की सेवा के लिए प्रेरित करे।ताकि एक सभ्य समाज का निर्माण हो ।लेकिन यही शिक्षक स्वंम अनुशासन और नियम के विरुद्ध काम करे तो विद्यार्थियों का भविष्य ही संकट में पड़ जायेगा।कुछ ऐसे ही नकारात्मक संदेश शिक्षक कहालने वाले बुद्धिजीवी इन दिनों ये कारनामा कर बच्चो में नकरात्मक शिक्षा और संदेश देने का काम कर रहे है।
मामला गरियाबंद जिले के आदिवासी बाहुल्य ब्लॉक छुरा के शासकीय कन्या प्राथमिक विद्यालय का है।जहा प्रशासनिक निर्देशो को लेकर विवाद की स्थिति उत्पन्न हो गई है।जहा विधानसभा चुनाव 2023 के लगे आदर्श आचार संहिता का भी खुलकर उलनघन करते हुए सारे नियमो को तार तार कर शिक्षक गैरजीमेदार कार्य तो कर ही रहे है वही कानून के विपरीत कार्य कर शैक्षाणिक गतिविधि को भी प्रभावित करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे है।तो शिक्षक अपने आचरण के विपरीत कार्य कर दबंगई करने पर भी उतारू हो गए है।
क्या है पूरा मामला
शिक्षा विभाग द्वारा एकल शिक्षकीय शालाओं में व्यवस्था हेतु शिक्षकों के व्यवस्था करने निर्देश दिया गया था।ताकि बच्चों की शैक्षणिक गतिविधि प्रभावित न हो ,इसी संदर्भ में छूरा ब्लॉक के कोसमपानी प्राथमिक शाला स्कूल के लिए शासकीय कन्या प्राथमिक शाला पांडुका में पदस्थ टिकेश्वर महिलांगे को व्यवस्था हेतु निर्देश किया गया था। लेकिन संस्था प्रमुख एवं संकुल समन्वयक द्वारा आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन करते हुए उच्च विभाग के आदेश को दरकिनार कर समय पूर्व उक्त शिक्षक को कार्य मुक्त नहीं किया गया ।जब 9 अक्टूबर को आचार संहिता लागू हुआ तभी नियम विरुद्ध सहायक शिक्षक को अचानक कार्य मुक्त कर दिया गया। वो भी उस समय सहायक शिक्षक को कार्य मुक्ति का आदेश दिया गया जब पूरे छत्तीसगढ़ राज्य में आचार संहिता लागू हो गया था वही एक दिन बाद उक्त शिक्षक को व्हाट्सएप के माध्यम से आदेश की कॉपी भेजा गया। जबकी सहायक शिक्षक द्वारा रिलीविंग संबंधी किसी भी प्रकार से रिसीविंग नहीं किया गया था।जबकि उच्च विभाग द्वारा आचार संहिता के चलते सभी प्रकार की आदेश को निरस्त कर दिया है।फिर भी नीचे स्तर के कर्मचारी नियम को ठेंगा दिखाकर अपना आपसी मतभेद निकालने में लगे है।तो वहीं शिक्षक द्वारा इस आदेश के विरुद्ध अपने पारिवारिक समस्याओं को बताते हुए कार्य मुक्त दिनांक को अर्धअवकाश लेकर विकास शिक्षा अधिकारी को अपने लिखित आवेदन प्रस्तुत किए हैं ।जब शिक्षक द्वारा आचार संहिता का होने का आदेश के संबंध में जब संस्था प्रमुख व संकुल समन्वयक से सवाल किया गया तो ज़िम्मेदार संकुल समन्वयक द्वारा अपने सहायक शिक्षक की समस्या व निवेदन को सुनने की बजाय उल्टे गाली गलोच में उतर कर शिक्षक के मोबाइल को बलात पूर्वक जबरदस्ती छीन लिए और घंटो बिठाकर तमाशा देखते रहे।जबकि सहायक शिक्षक एससी वर्ग है।जो पूर्ण निष्ठा से बच्चो की पढ़ाई और शासन के निर्देशो का पालन करते आ रहे है।संकुल समन्वयक द्वारा जिस तरह से मोबाइल छीना उससे साफ है की उक्त संकुल समन्वयक संतोष साहू शिक्षक के आचरण के विपरीत कार्य कर रहे है जो उसकी दबंगई को भी दर्शाता है।बताना लाजमी है उक्त संकुल समन्वयक एक जनपद जनप्रतिनिधि योगेश साहू के रिश्तेदार है।जिसके कारण उक्त जनप्रतिनिधि मामले को दबाने अपने दबंगई के साथ अनैतिक कार्य को प्रोत्साहन देकर मामले की पड़ताल की भनक पाकर खबर कवरेज करने वाले पत्रकार को फोन कर अपने रिश्तेदार संकुल समन्वयक का पक्ष लेने में लगे थे और निर्दोष सहायक शिक्षक को दोषी करार कर बिना पक्ष जाने उसके ऊपर गंभीर आरोप लगाने में लगे थे। पुनः आपको बता दे की एक तरफ आदर्श आचार संहिता लागू है फिर ये छुटभैया नेता अपना राजनीति दिखाने से भी बाज नही आ रहे है।जो पहले भी अवैध मुरूम खनन जैसे कार्य में संलिप्त थे।हालांकि ये मामला कल पाण्डुका थाना में चला गया था।लेकिन अभी किसी भी प्रकार से शिकायत नहीं हुआ है।एक लंबा नाटकीय ढंग से और संकुल समन्वयक की रौब व पैंतरा से मामला कुछ समय के लिए तो जरूर टल गया।पर संकुल समन्वयक की दादागिरी साफ तौर पर जरूर देखने को मिला।वही छुरा बीईओ ने कहा की आचार संहिता लागू है कोई बयान नहीं दे सकता लेकिन उन्होंने ने जरूर कहा की उक्त शिक्षक को आचार संहिता से पहले कार्यमुक्त कर दिया जाना चाहिए था।जो भी वहा घटना हुआ वो मेरे संज्ञान में है।