वन विभाग का दामाद बन बैठा है अतिक्रमणकारी,जनपद सदस्य अशोक पटेल पर नही होता है वन विभाग का कोई भी नियम लागू,रिजर्व फारेस्ट की जमीन पर अवैध रूप से कब्जा कर सालो से पोल्ट्री फार्म का कर रहे है संचालन,वन विभाग बना पनाहगार,जांच में वन विभाग की बड़ी लीपापोती - Savdha chhattisgarh
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वन विभाग का दामाद बन बैठा है अतिक्रमणकारी,जनपद सदस्य अशोक पटेल पर नही होता है वन विभाग का कोई भी नियम लागू,रिजर्व फारेस्ट की जमीन पर अवैध रूप से कब्जा कर सालो से पोल्ट्री फार्म का कर रहे है संचालन,वन विभाग बना पनाहगार,जांच में वन विभाग की बड़ी लीपापोती


परमेश्वर कुमार साहू @गरियाबंद। 
जिन अधिकारियों को वनों की संरक्षण और संवर्धन की बड़ी जिम्मेदारी है।वही वन विभाग के अधिकारी जंगलों के उजाड़ को रोकने में पूरी तरह से नाकाम साबित हो रहा है।लगातार कटते हरे-भरे, पेड़-पौधों और अतिक्रमण जंगलों के सिमटने का कारण बनते जा रहा है।अगर यही हाल रहा तो आगामी कुछ वर्षो में जंगलों का नेस्तनाबूत हो जायेगा और केवल नाम मात्र के जंगल रह जायेंगे।शासन द्वारा वनों की सुरक्षा के कई प्रयास कर करोड़ो अरबों की राशि खर्च कर रहे है।लेकिन वनों के रक्षक ही भक्षक बन गए है।जिससे वन्य प्राणियों की सुरक्षा पर भी सवाल खड़ा होने लगा है।नतीजन जंगली जीव रिहायशी इलाकों की ओर कुच कर रहा है और मानव के गाल में समा रहे है।ताजा उदाहरण अभी जिले के पांडुका वन परिक्षेत्र का है। जंहा कई महीनो से जंगली जानवर भालू गांव-गांव,गली-गली घूम रहे है।हालांकि इस भालू द्वारा किसी भी प्रकार से आम नागरिकों को कोई हानि नहीं पहुंचाया है।लेकिन वन विभाग में ओहदे पद पर बैठे डीएफओ साहब केवल कुर्सी बस की शोभा बढ़ाने में लगे है।इन्हे जंगल,जंगली जानवर सहित आम नागरिक और शासन के महत्वपूर्ण कार्यों के साथ अपनी जिम्मेदारियों के प्रति कोई सरोकार नहीं है।क्योंकि साहब पहुंच और पावर वाला है।जिसके वजह से लंबे समय तक एक ही जगह जमे हुए है।इन्हे तो इनका वेतन समय पर मिल जा रहा है।लेकिन शासन के कार्यों के प्रति इन्हे कोई दिलचस्पी नहीं है।वही अपने सरदार का अनुकरण नौसिखिए रेंजर भी कर रहे है।

गरियाबंद जिले के वन परिक्षेत्र कार्यालय लापरवाही का गढ़ बन गया है।जंहा रिजर्व फारेस्ट में अतिक्रमण,हरे-भरे पेड़ो की बेदम कटाई और फर्जी वन पट्टा वितरण सहित फर्जी गिदावरी का खेल खूब चल रहा है।रिजर्व फारेस्ट में एक बड़े पैमाने पर अतिक्रमण छुरा वन परिक्षेत्र में जंगल और वन्य प्राणियों की सुरक्षा पर सवाल खड़े कर दिए है।लेकिन यहा पदस्थ नौ सीखिए रेंजर एसडी दीवान को अपने कर्तव्यों और जिम्मेदारियों के प्रति कोई सरोकार नहीं है।बल्कि उल्टा ही रसूखदार अतिक्रमणकारियो को पनाह देने में लगे है।परिक्षेत्र के अमेठी सर्कल अंतर्गत ग्राम पंचायत भैरा नवापारा के उल्टपारा में रिजर्व फारेस्ट की जमीन पर जनपद सदस्य अशोक पटेल और उनके भाई अमृत पटेल द्वारा एक बड़े हिस्से में अतिक्रमण कर पोल्ट्री फार्म का संचालन कर रहे है।जिसको लेकर कइयों बार खबर प्रकाशन किया गया व लिखित शिकायत के साथ वन विभाग के अधिकारी को अवगत कराया गया।लेकिन विभाग द्वारा साल भर बीतने के बावजूद भी कोई कार्यवाही नहीं किया।इस मामले की जांच में वन विभाग और रसूखदार अतिक्रमणकारी के साथ मिलीभगत की बू आ रही है।विभाग द्वारा जांच के नाम पर अशोक पटेल को केवल एक ही नोटिस जारी कर जवाब मांगा था।जबकि जांच में पूरी तरह सिद्ध हो गया है की अशोक पटेल और अमृत पटेल द्वारा कब्जा कर पोल्ट्री फार्म का संचालन कर रहे है।जो  रिजर्व फारेस्ट की जमीन है।विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों को इस मामले की जांच व कार्यवाही के संबंध में जब भी मीडिया ने सवाल किया तो उनका हर बार यही कहना था कि कार्यवाही की जाएगी,उच्च अधिकारियों की निर्देश की देरी है।लेकिन दर्जनों बार इसी बात को दोहराने के आलावा आज तक कोई ठोस कार्यवाही नही हुई और न ही अतिक्रमण हटाया गया।इस मामले को लेकर आम लोगो के बीच में चर्चाओं का बाजार ये भी गर्म है की वन विभाग के अधिकारियों द्वारा पूरे मामले में लीपापोती कर दिया है।आखिर लीपापोती होना तो पहले से तय दिख रहा था क्योंकि मीडिया की खबर विभाग की कमाई का जरिया जो बन गया है।वही दिलचस्प बात ये भी है की  अशोक पटेल एक रसूखदार,पहुंच वाला और वर्तमान में उस क्षेत्र से जनपद सदस्य के जिम्मेदार पद पर है और रसूखदारों पर गरियाबंद जिले में कोई कानून लागू नहीं होता।पैसा,पहुंच और पावर के सामने वन विभाग के सारे नियम कायदा कानून नतमस्तक हो गए है।कुल मिलाकर कहा जाए की अतिक्रमणकारी वन विभाग का दामाद बन बैठा है।छुरा वन परिक्षेत्र अधिकारी एसडी दीवान की कथनी और करनी में भी अंतर है,उन्होंने मीडिया को ये भी बताया था कि अशोक पटेल द्वारा नोटिस के जवाब में फर्जी दस्तावेज प्रस्तुत किए थे।जिस पर अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही के साथ एफआईआर भी दर्ज कराने की बात रेंजर द्वारा कहा गया था।लेकिन पूरे मामले में एक लंबा समय बीतने के बाद भी कार्यवाही नही हुआ,जिससे छुरा रेंजर और वन विभाग की किरकिरी हो रही है। युवा रेंजर पर जिस तरह से लोगो ने उम्मीद किया था।उसके विपरित कार्य कर रेंजर द्वारा अतिक्रमणकारियो को पनाह देने में लगे है।अगर यही गलती कोई गरीब करता तो वन विभाग तुरंत अपना कानूनी पैंतरा उस पर कर देता।लेकिन वन विभाग का कानून केवल गरीबों के लिए है। रसूखदरो पर कार्यवाही के लिए इनके हाथ पैर फूलता है।वही फर्जी गिदावरी के मामले में भी जांच में लिपापोती कर अपने कर्मचारी दुलार सिन्हा को बचाने में भी कोई कसर नहीं छोड़ा।जिसके चलते गैरजिम्मेदार व लापरवाह वन विभाग के अधिकारी के ऊपर कार्यवाही होने के बजाय आज वह प्रमोट होकर वन रक्षक से डिप्टी रेंजर बन गए।जिससे साफ जाहिर है की वन विभाग वनों के भक्षको को जंगलों के उजाड़ के बदले में प्रमोशन देने में लगे है।विभाग की उदासीनता और लापरवाही जंगलों के उजाड़ का कारण बन गया है।इन्हे जंगलों की सुरक्षा के प्रति तनिक भी परवाह नही है।अब इस मामले को लेकर पर्यावरण प्रेमी हाईकोर्ट की दरवाजा खटखटाकर जंगलों की सुरक्षा और लापरवाहो के ऊपर कार्यवाही की मांग करेंगे।जल्द ही मामले में उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर किया जाएगा।

वही इस मामले को लेकर वन परिक्षेत्र अधिकारी एसडी दीवान से जानकारी लेने दर्जनों बार फोन किया गया।लेकिन उन्होंने कभी भी फोन उठाना और जवाब देना उचित नहीं समझा

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