फिंगेश्वर के सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में डाक्टरों द्वारा किया जा रहा कमीशन का बड़ा खेल,प्राइवेट मेडिकल के पर्ची का किया जा रहा उपयोग, जानबूझकर बहुत सारी आवश्यक दवाइयों की अस्पताल में बताया जाता है अभाव
.डाक्टर द्वारा बाहर से दवाई लेने लिखी जा रही पर्ची की दवाईयां सिर्फ चिन्हित मेडिकल में ही उपलब्ध.
गरियाबंद । एक लंबे अंतराल के बाद फिंगेश्वर व आसपास के लोगो को बेहतर स्वास्थ सुविधा उपलब्ध कराने हेतु सरकार द्वारा 30 बिस्तर अस्पताल की सुविधा दी गई ।जो आम लोगों व गरीब तबके के लोगो के लिए ये अस्पताल बहुत वरदान है और इनको इस अस्पताल की स्वास्थ सेवाओं से काफी अपेक्षाएं भी थी किंतु इसके ठीक विपरीत स्थितियां अस्पताल में दिखाई देती है।वहा कार्यरत कर्मचारियों के अड़ियल तामसिक पूर्ण रवैया से ग्रामीण और क्षेत्रवासी त्रस्त है और डर के कारण कुछ पूछताछ नही कर पाते कोई पूछ भी ले तो बड़े अड़ियल तरीके से गैर जिम्मेदाराना उत्तर दिया जाता है।
डाक्टरों को भगवान के बाद दूसरा स्थान दिया जाता है। जिस तरह भगवान पर लोगो की प्रगाढ़ आस्था होती है उसी तरह डाक्टर पर भी होता है पर यहां के अस्पताल के डाक्टरों का माजरा ही कुछ अलग है। यहां के एक स्थानीय निवासी पीड़ित व्यक्ति से चर्चा करने पर बताया कि वे अपने बच्चे के दांत दर्द के तकलीफ को लेकर जब फिंगेश्वर स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र पहुंचे तो पहले पर्ची बनवाने काउंटर पर गए तो अपनी मस्ती में बैठे कर्मचारी ने बच्चे का उम्र और पिता का नाम ही गलत लिख दिया गया। जबकि उक्त व्यक्ति के द्वारा दो बार बताया गया ,पर्ची लेकर जब वहां मौजूद डेंटिस्ट के पास गए तब उनके द्वारा इलाज कर दवाई लिखकर दो पर्ची दी गई जिसमें एक दवाई अस्पताल से ही मिला और दूसरी दवाई बाहर मेडिकल से लेने कहा गया। जब उक्त व्यक्ति द्वारा अपने परिचित के तीन चार मेडिकल में दवाई लेने पहुंचा तो किसी के पास वो दवाई नही था ।बस एक चिन्हित मेडिकल में ही वो दवाई उपलब्ध थी। पर पीड़ित व्यक्ति के द्वारा उस चिन्हित मेडिकल से दवाई न लेकर वापस डाक्टर के पास गया और डाक्टर से निवेदन किया की ऐसी दवाई लिखे डाक्टर साहब जो हर मेडिकल में आसानी से मिल सके। पर उक्त डाक्टर के द्वारा ऐसा नहीं किया गया। जबकि नियम के अनुसार सामान्य बीमारी के लिए ऐसी जो दवाई अस्पताल में मौजूद नहीं है। तो डाक्टर को ऐसी दवाई ही लिखना है जो कोई भी मेडिकल स्टोर में आसानी से मिल सके।लेकिन कमीशन के चक्कर में इस नियम का पालन नहीं किया जा रहा। अब एक आम गरीब नागरिक करे तो क्या करे?कुल मिलाकर लोगो को उस चिहित मेडिकल स्टोर से ही मजबूरी में महंगी दवाईयां लेनी पड़ रही है ।
लोगो का मानना है और आरोप है की सरकारी अस्पताल में कार्यरत सारे डाक्टरों को उक्त मेडिकल स्टोर सचालक द्वारा अपनें स्टोर की दवाईयां लिखने के एवज में मोटी कमीशन डाक्टरों को दी जाती है।