छुरा वन परिक्षेत्र के चरौदा जंगल का मामला:सैकड़ो की तादाद में इमारती पेड़ो की अवैध कटाई के खबर कवरेज के दौरान पत्रकारों पर हुआ था हमला
.छुरा थाना ने दस से अधिक आरोपियों पर किया कार्यवाही पर हमलावर बीड गार्ड पर कोई कार्यवाही नहीं ,वन विभाग और पुलिस का जंगल बेचने वाले बीड गार्ड को खुला संरक्षण.
परमेश्वर कुमार साहू,गरियाबंद(छत्तीसगढ।)जिले का वन परिक्षेत्र छुरा जंगल उजाड़ने का पूर्ण रूप हब बन चुका है।बीते कुछ सालों में इस रेंज में जंगल में हरे भरे पेड़ो की बेदम कटाई और अतिक्रमण ने जंगल को पूरी तरह सिमट कर रख दिया है।लगातार जंगल की उजाड़ ने पूरे जंगल को नेस्तानाबुत करके रख दिया है।जिससे जंगल तो सिमटने लगा है वही इस जंगल में स्वतंत्र विचरण करने वाले वन्यप्राणीयो के अस्तित्व पर भी खतरा मंडराने लगा है।जिसके चलते जंगली जीव जंगल को छोड़ रिहायसी इलाकों ओर कुच करे रहे है और मानव के हाथो शिकार होकर उसके गाल में समा रहे है।छुरा वन परिक्षेत्र जंगल उजाड़ने कों लेकर हमेशा से ही सुर्खियों में रहा है।इस रेंज में जो भी अधिकारी आए वो जंगल को बेच खाकर चले गए ।या यू कहे ही जंगल को बेचने एवज में उन्हें शासन द्वारा प्रमोशन दिया गया।जिसमें सबसे बड़े जिम्मेदार अधिकारी अशोक भठ्ठ और एसडी दीवान का नाम सबसे ऊपर है। जिसे जंगल उजाड़ने और जंगल को बर्बाद करने के रूप में एसडीओ का बड़ा प्रमोशन मिला है। जिले के आदिवासी बाहुल्य ब्लॉक और वन परिक्षेत्र छूरा के चरौदा सर्कल अंतर्गत इमारती प्रजाति की बीजा पेड़ो की अवैध कटाई को लेकर 5 महीना पहले खबर कवरेज के दौरान जंगल में वनरक्षक ईशु जोशी के द्वारा 30 से 40 की संख्या में लकड़ी तस्कर व असामाजिक तत्वों को बुलाकर जंगल में पत्रकारों के ऊपर जानलेवा हमला करवाया गया था और बंधक बनाकर पत्रकारों की मोबाइल को तोड़फोड़ किया गया था व जान से मारने की धमकी दिए थे।किसी तरह जान बचाकर कवरेज करने गए पत्रकार गंभीर चोट के साथ छुरा थाने में पहुंच कर लिखित शिकायत किए थे। जिस पर तत्कालीन थाना प्रभारी भूषण चंद्राकर ने मामले को लेकर तत्काल एफआईआर गरियाबंद एसपी के निर्देस पर किए थे। जिस पर दस से बारह हमलावरो पर आईपीसी के विभिन्न धाराओं में कार्यवाही हुआ है। लेकिन हमले की मुख्य मास्टरमाइंड वनरक्षक यीशु जोशी के ऊपर किसी भी प्रकार से पुलिस द्वारा कार्यवाही न करना एक बड़े सवाल को जन्म दे रहा है जबकि उक्त बिटगार्ड जंगल में बेशकीमती लड़कियों की अवैध कटाई को लकड़ी तस्करों के साथ मिलकर खुला संरक्षण दे रहे हैं। जिसमें छुरा रेंज के जिम्मेदार अधिकारी की मिलीभगत से भी इनकार नहीं किया जा सकता। जिसके चलते वन भक्षक कार्यवाही न होने से हौसला बुलंद कर खुलेआम घूम रहे हैं और जंगल को लगातार नुकसान करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं
वन विभाग के उच्च अधिकारी और पुलिस विभाग की मेहरबानी
आपको बता दे की इस मामले को लेकर पत्रकारों द्वारा पुलिस को लिखित शिकायत किया गया था।जिस पर थाना द्वारा मुख्य आरोपी को बचाते हुए छूट पुट कार्यवाही कर अपने कर्तव्यों से इतश्री कर लिए।वही जंगल में बीजा जैसे बहुमूल्य पेड़ो की कटाई को लेकर गरियाबंद डीएफओ को लिखित में शिकायत कर बीड निरीक्षण और मामले में निष्पक्ष जांच की मांग किए थे।जिस पर डीएफओ ने जांच के आदेश दिए थे।जिसमे जांच भी हुआ और जांच प्रतिवेदन डीएफओ को भी सौंपा गया लेकिन पांच माह बीतने के बाद भी कोई ठोस कार्यवाही नही हो पाया।जिसके चलते डीएफओ की कार्यशैली पर उंगली उठने लगा है।ऐसा प्रतीत हो रहा है की साहब अपने कर्मचारी को संरक्षण देकर बचाने में लगे है।