छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध धार्मिक एवं पर्यटन स्थल घटारानी माता का दरबार उपेक्षा का है शिकार , घटारानी समिति और ग्राम पंचायत ने उठाया है इस पर्यटन स्थल में विकास का दायित्व
परमेश्वर कुमार साहू/संध्या साहू की खास रिपोर्ट गरियाबंद(छत्तीसगढ़)।छतीसगढ के प्रसिद्ध धार्मिक और पर्यटन स्थल माता घटारानी का दरबार क्वार नवरात्र में आस्था की ज्योति से जगमगा रहा है।किदवंती है जो भी भक्तगण पूर्ण श्रद्धा से माता की दर्शन करने आता है और मनोकामना ज्योत प्रज्वलित करते है उसकी हर मनोकामना पूर्ण होती है।यही कारण है की माता का दरबार अटूट आस्था का केंद्र बन गया है।जहा माता के दर्शन के लिए रोज हजारों की तादाद में भारत के कोने कोने सहित विदेशी पर्यटक की आवाजाही लगातार बढ़ती जा रही है और पर्यटक यहाँ के विहंगम दृश्य को निहारकर आनंद ले रहे है।
उपेक्षा का शिकार है माता का दरबार
बताना लाजमी है की घटारानी धाम छत्तीसगढ़ राज्य में एक बड़े पर्यटन और धार्मिक स्थल के रूप में उभरकर आया है।जो लगातार विख्यात होते जा रहा है।भारत के अलग अलग राज्यों से श्रद्धालुओ की लगातार आवाजाही होती रहती है।जिसके लिए उक्त पर्यटन स्थल में समुचित संसाधन नही है।बीते एक दशक बाद भी इस आधुनिक युग में इसका विकास नही हो पाया।विकास की राह देखते माता का दरबार थक चुका है।भले ही सड़क बिजली,पानी की व्यवस्था हो गई हो।लेकिन कई ऐसे मूलभूत सुविधा है।जिसकी अति आवश्यकता घटारानी धाम को है।लोगो की रुकने व्यवस्था नहीं है और न ही सर्व सुविधा युक्त शौचालय व स्नानागार, न ही किसी प्रकार की गार्डन की व्यवस्था और न ही कृत्रिम वाटरफल पर कोई काम नही हो पाया।शासन और प्रशासन स्तर पर किसी भी प्रकार से कभी कोशिश नही किया गया की घटारानी धाम में विकास हो?राजिम विधानसभा क्षेत्र में कई विधायक और जनप्रतिनिधि जनता से चुनकर आए लेकिन कभी भी घटारानी धाम में नवाचार और एक अलग तरह से इस धार्मिक स्थल के विकास के बारे में न कभी सोचा और न ही कोई सुध लिया।जिसके चलते माता का दरबार उपेक्षा का शिकार हुआ है।हालांकि जय मां घाटरानी विकास समिति भक्तगण के सहयोग से आज तक पूर्ण विकास के लिए कार्य लगातार करते आ रहे है।फिर भी फंड की समस्या से उन महत्वपूर्ण कार्यों को नही कर पा रहे है।जिसकी सबसे आव्यश्यकता है।इसके बावजूद भी शासन प्रशासन स्तर पर कोई बड़ी मदद आज तक नही मिल पाई है।
प्राकृतिक सौंदर्य से आच्छादित है घटारानी धाम
आपको बता दे की यह धाम राजधानी रायपुर से 80 किलोमीटर की दूरी पर वनाचल ब्लॉक छुरा के ग्राम फुलझर के घने जंगल में प्रखंड पर स्थित है।चारो तरफ पहाड़ी और प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर माता का दरबार लोगो को अपनी आसानी से लुभा देता है।कल कल करती झरने,कलरव करती पक्षियां,हरी भरी वादिया बरबस ही लोगो को अपनी ओर आकर्षित करता है।यहां से उड़ीसा की दूरी महज 40 किलोमीटर है,महासमुंद जिला से 40,धमतरी जिला से 80 और और दुर्ग भिलाई 110 किलोमीटर की दूरी पर है।चलते पिकनिक मनाने और भ्रमण सहित माता का आशीर्वाद लेने बारह माह लोगो का आना जाना लगा रहता है।
समिति के पदाधिकारी और आसपास के ग्रामीण देते है अपना विशेष सहयोग
चाहे क्वार नवरात्र हो या फिर चैत्र नवरात्र,इन दोनो आयोजनों के लिए समिति विशाल भंडारे के साथ साथ आंगुतको और श्रद्धालुओ के उचित व्यवस्था का पूरा प्रबंध करते एक दशक से आते आ रहे है।जिसमे आस पास के पूरा ग्रामीण अपना पूर्ण सहयोग करते है।जय मां घटारानी विकास समिति धसकुड के पदाधिकारी दिन रात डटकर व्यवस्था करने अपना अमूल्य योगदान देते है।
जिसमे अध्यक्ष तारण सिंह ध्रुव,सचिव हेमराज ध्रुव, उपाध्यक्ष दुर्गा राम यादव,संरक्षक गजेश्वर सिन्हा,सहसचिव संतोष साहू, कोषाध्यक्ष परमेश्वर दीवान,संचालक जहूर दीवान,संतोष दीवान,सलाहकार,हेमलाल, डिहु राम साहू, संतु ध्रुव,खेमू ध्रुव,धनेश ध्रुव,रमेश ध्रुव सहित सभी पदाधिकारी अपना अपना सहयोग प्रदान कर रहे है।
150 फिट ऊंचाई से गिरता झरना है आकर्षण का केंद्र
घटारानी की धाम की पहचान माता के मुख्य मंदिर और 150 फिट ऊंचाई से गिरते झरना और झरने में कलरव की आवाज यहां आने वाले लोगो के लिए काफी आनंद देने वाला है।लोग यहां आकर शांति का अनुभव करते है। वाटरफाल को देखने और लुफ्त उठाने साल भर भारी भीड़ रहती है।
सुरक्षा व्यवस्था को तगड़ी व्यवस्था
गरियाबंद पुलिस अधिक्षक और थाना फिंगेश्वर द्वारा घटारानी धाम में नवरात्र को लेकर सुरक्षा की तगड़ी व्यवस्था के लिए पुलिस बल जवानों को तैनात कर हर गतिविधि पर नजर रख किसी भी प्रकार के अप्रिय घटना को रोकने भरसक प्रयास में लगकर दिन रात चौकसी कर रहे है।पहाड़ी के ऊपर, वाटरफाल के पास सहित सभी वाहन पार्किंग व रिस्क प्वाइंट पर पुलिस जवान तैनात है।