बदलते भारत के नये परिवेश में "एक देश, एक चुनाव" समय की मांग- गणेश साहू
परमेश्वर कुमार साहू@गरियाबंद।राजिम केन्द्र सरकार ने पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक देश, एक चुनाव या कहें वन नेशन, वन इलेक्शन पर गत 2 सितंबर को एक 8 सदस्यीय कमेटी बनाई है। यह समिति संविधान और कानून के तहत लोकसभा, विधानसभा, नगर पालिका और पंचायतों के चुनाव साथ कराने की संभावना तलाशने के साथ साथ एकल वोटर लिस्ट और वोटर आईडी को बनाये जाने की सिफारिश भी करेगी। यही नही एक साथ चुनाव होने के बाद यह चक न टूटे इसके लिए जरूरी सुरक्षा उपाय भी सुझायेगी साथ ही अन्य जरूरी बिन्दुओं के अलावा संविधान संसोधन की सिफारिश भी सरकार से कर सकती है।
कुल मिलाकर कहें तो यह महात्वाकांक्षी भारत के सपनों को पंख लगाने का काम यह समिति करेगी ऐसी उम्मीद जताते हुए क्षेत्र के प्रसिद्ध समाजसेवी ग्राम मुरमुरा निवासी गणेशराम साहू ने उक्त बाते कही है। श्री साहू ने आगे बताया कि एक पूर्व राष्ट्रपति, एक वरिष्ठ वकील, तीन राजनेताओं के अलावा तीन संबंधित पूर्व नौकरशाहों (अफसरों) को समिति में रखे जाने को एक ठोस कदम बताते हुए केन्द्र सरकार के इस निर्णय को संजीदा बताया है और कहा है कि यह आधुनिक भारत के सपनों को मूर्तरूप देने के साथ-साथ समय की मांग है कि सन् 1967 के बाद से जो चक टूट गया था उस चक्र को पुनः प्रारंभ करने से देश को विकसित राष्ट्र की ओर अग्रसर करने में मदद मिलेगी।
गणेश राम साहू ने केन्द्र सरकार के एक देश, एक चुनाव से संबंधित चुनाव सुधार की दिशा में उठाये गए कदमों की प्रशंसा करते ह ुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को आधुनिक भारत का शिल्पकार बताया है। उन्होने सभी राजनैतिक दलों को राष्ट्र निर्माण के विषय पर एकमत से आगे आने का आव्हान करते हुए कहा कि आज भारत विकासशील देश की कतार से बाहर निकलकर विकसित भारत की दिशा में कदम बढ़ा रहा है जो प्रसंशनीय है। उन्होनें सभी सुधारवादी कदमों को हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए सुलभ और सरल जीवन की सौगात बताया है। आगे की पीढ़ी देश के नवनिर्माण का पूरा फायदा उठाते हुए विश्वमंच पर धमक के साथ चमक बिखेरेगी और अपने सपने को मूर्तरूप दे सकेगी।
श्री साहू ने बताया कि यह देश का सौभाग्य है कि एक विजनरी राजनेता देश का प्रधानमंत्री है जो बड़े सपने देखता ही नहीं अपितु उन सपनों को मूर्त रूप देने उसे साकार करने और जमीन पर यथार्थ रूप में उतारने में सिद्धस्थ है। गौरवशाली भारत का इतिहास अब और गौरान्वित होगा जब जी-20 समिट का आगाज होगा। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में बतौर स्थाई सदस्य ( वीटो पावर) हेतु भारत की दावेदारी भी मजबूती से उभरेंगी। 140 करोड़ का यह देश अपनी नीतिगत ढ़ेर सारी निर्णयों को टाल नहीं सकता जो दीर्घकालिक परिवर्तन का कारक हो । यही सही समय है जब भारत विश्वगुरु की अपनी पुरातन अवधारणा को फिर प्राप्त करेगा। भारत का नेतृत्व वर्तमान में सुरक्षित हाथों में है जिससे अपेक्षा की जा सकती है।