जलजीवन मिशन बना विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों और ठेकेदार के लिए भ्रष्टाचार का जरिया,पानी टंकी और नल-जल कनेक्शन के नाम पर हो रहा है बड़ा घोटाला
.न निर्माण कार्य में गुणवत्ता और न ही कोई पारदर्शिता,विभाग और ठेकेदार की मनमर्जी और भ्रष्ट नीति का हो रहा है उजागर.
परमेश्वर कुमार साहू@गरियाबंद।सरकार की सबसे बड़ी और महत्वाकांक्षी योजना जल जीवन मिशन जिम्मेदार अधिकारियों और ठेकेदारों के लिए भ्रष्टचार करने का नया योजना बन गया है। जहा ठेकेदार विभागीय अधिकारियों के साथ साथ गांठ कर स्टीमेट के विपरित मन मुताबिक कार्य कर गुणवत्ताहीन निर्माण कार्य करने पर उतारू हो गए है।जिसको पीएचई विभाग खुला संरक्षण देकर कमीशन लेकर अपना जेब गर्म करने में लगे है।इन दिनों जिले भर के प्रत्येक गांव-गांव में जल जीवन मिशन के तहत पानी टंकी और आम जनता को नल कनेक्शन देने का काम चल रहा है। जो सारे नियमो को ताक में रखकर हो रहा है।गुणवत्ताहीन निर्माण कार्य आपको गली-गली, गांव-गांव आसनी से दिखाई दे सकता है। जहा निर्माण कार्य में भ्रष्टाचार की दरारें स्पष्ट तौर पर दिखाई दे रहा है।निर्माण कार्य हुए साल भर भी नही हुआ है और अभी से ही जगह -जगह दरारें दिख रही है।जो ठेकेदार और विभाग के गैरजिम्मेदार अधिकारियों की करतूतों को साफ दिखा रहा है।
निर्माण कार्य स्थल में कही पर भी नागरीक सूचना बोर्ड नही
शासन द्वारा आम जनता को घर-घर तक शुद्ध पेयजल पहुंचाने के मकसद से बनाई गई जल जीवन मिशन गरियाबंद जिले में पूरी तरह से फ्लॉप साबित होता नजर आ रहा है।वही शासन द्वारा दिए गए निर्देश के विपरित कार्य करते हुए पारदर्शिता छुपाने निर्माण स्थल पर किसी भी प्रकार से सूचना बोर्ड नही लगाए है।जबकि शासन का निर्देश है की सभी निर्माण व विकास कार्य स्थल पर नागरिक सूचना बोर्ड लगाया जाए।ताकि आम जनता के लिए शासन द्वारा कौन से मद से और किस कार्य के लिए कितनी राशि दिया गया उसकी जानकारी हो सके।लेकिन विभाग और ठेकेदार शासन की निर्देश की खुलेआम धज्जियां उड़ाते हुए किसी भी निर्माण स्थल में नागरिक सूचना बोर्ड नही लगाए है।जिससे साफ जाहिर है की ये जिम्मेदार लापरवाह शासन की योजना में अपना स्वार्थ निकालने पुर जोर कोशिश कर रहे है
विद्युत चोरी से चल रहा है पानी टंकी का निर्माण कार्य
अधिकतर स्थानों पर पानी टंकी निर्माण कार्य में ठेकेदार खंभे से डायरेक्ट विद्युत लेकर व चोरी कर उक्त निर्माण कार्य को अंजाम दे रहे है।जिसको विद्युत विभाग को जानकारी देने के बाद भी कोई कार्यवाही करना जरूरी नहीं समझ रहे है।छुरा ब्लॉक अंतर्गत ग्राम तौरेंगा,बोडराबांधा,घटकर्रा, सहित दर्जनों गांवों में पानी टंकी निर्माण में विद्युत चोरी की घटना को ठेकेदार अंजाम दे रहे है।जिसमे विभाग के जिम्मेदार अधिकारी मेहरबान नजर आ रहे है।अगर कोई गरीब एक बल्ब जलाने के लिए विद्युत चोरी करे तो उस पर विद्युत विभाग तुरंत कार्यवाही करता है।लेकिन पहुंच और पावर वाले ठेकेदारों के पास घुटने टेकते नजर आ रहे है विद्युत विभाग।गरियाबंद जिले में कानून केवल गरीबों के लिए है ,रसूखदार पर कोई नियम कायदा लागू नहीं होता।जिसका उदाहरण कइयों बार देखने को मिल चुका है।जिसकी जानकारी पाण्डुका डीसी के जेई को दिया जा चुका है।लेकिन उन्होंने भी को दिलचस्पी नहीं दिखाई।अब विद्युत चोरी से वर्तमान में ठेकेदारों का पानी टंकी का निर्माण पूर्णता की ओर है। तौरेंगा के पानी टंकी में चल रहे निर्माण कार्य में विद्युत चोरी को लेकर ठेकेदार रघुवंश चंद्राकर को फोन करने पर बोला की परमजीत के साथ पार्टनरशिप में काम चल रहा है उनसे बात करने के बाद आपको बताता हु।वही बोडराबांधा में ठेकेदार के सुपरवाइजर से बात करने पर उन्होंने अपने रसूखदारी वाला धौंस दिखाते हुए उल्टे ही मीडिया को नसीहत देने से भी बाज नहीं आए।
घटकर्रा में स्टीमेट के विपरित कार्य,आखिर विभाग के इंजीनियर क्या हेलीकॉप्टर से मॉनिटरिंग करते है?
आपको दिलचस्प बात बता दे की पानी टंकी निर्माण में पूरा स्ट्रेकचर पहले तैयार हो रहा है।लेकिन सीढ़ी को बाद में बनाया जा रहा है।जब कोई विभागीय इंजीनियर निरीक्षण करेंगे तो सीढ़ी से चढ़कर करेंगे।लेकिन बिना सीढ़ी के विभाग के जिम्मेदार अधिकारी मॉनिटरिंग भी कर ले रहे है और मूल्यांकन भी।आखिर क्या पीएचई विभाग के अधिकारी हवा में उड़कर निर्माण कार्य की मॉनिटरिंग करते है या फिर हेलीकॉप्टर से या फिर कमांडो की तरह इन्हे भी रस्सी चढ़ना आता है।कुल मिलाकर कहा जाए तो पीएचई विभाग में अधिकारी केवल दफ्तर में कुर्सी में बैठकर कागजों में रिपोर्टिंग शासन और उच्च विभाग को कर रहे है।वही इसी मामले को लेकर ब्लाक के ग्राम पंचायत घटकर्रा के ग्रामीण खासे नाराज है और इसके जांच के लिए शिकायत भी कर चुके है। जलजीवन मिशन के तहत चल रहे निर्माण कार्य में अनियमितता को लेकर लगातार पड़ताल कर रहे है और जल्द ही एक और बड़ा खुलासा कर ज़िम्मेदारो के करतूतों को उजागर किया जाएगा।वही इस मामले को लेकर राजिम एसडीओ पीएचई को कइयों बार फोन किया गया लेकिन उन्होने फोन उठाना जरूरी नहीं समझा।