संसार में परीक्षित रुपी जीव का मोक्ष भागवत कथा से ही संभव:राधा नंदनी निशा किशोरी,फुलझर घटारानी में आयोजन की तीसरे दिवस मे उमड़े श्रोता गण - Savdha chhattisgarh
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संसार में परीक्षित रुपी जीव का मोक्ष भागवत कथा से ही संभव:राधा नंदनी निशा किशोरी,फुलझर घटारानी में आयोजन की तीसरे दिवस मे उमड़े श्रोता गण


परमेश्वर कुमार साहू@गरियाबंद
।छुरा ब्लॉक के  ग्राम फुलझर घटारानी में समस्त ग्रामवासियों द्वारा श्री मद्भागवत कथा का आयोजन किया गया है। जिसमें श्रोता भागवत कथा को मन लगाकर सुन रहे हैं, कथाकार खम्हरिया महासमुंद निवासी राधा नंदनी निशा किशोरी ने बताया कि जीव रूपी परीक्षित को तक्षक नाग के भय से मुक्त कराने और मोक्ष होने का सशक्त माध्यम श्रीमद्भागवत कथा आयोजन होना ही है। जिसे शुकदेव जैसे महान कर्मकांडी कथाकार द्वारा लगातार सात दिनों तक विभिन्न अध्यायों का वाचन निश्चित रूप कराकर धुंधकारी जैसे दुष्कर्म से कष्ट भोग रहे भाई का  मोक्ष और कल्याण हुआ।

आज की कथा में ऋषि कर्दम और देवहुति के गर्भ से कपिल भगवान का अवतार तथा हिरण्यकश्यप और हिरण्याक्ष की कथा तथा ऋषि मैत्रेय द्वारा विदूर को यह कथा सुनाया गया।उसी कथा को सुत जी ने अठ्ठासी हजार ऋषियों मुनियों को और राजा परीक्षित को शुकदेव मुनि द्वारा सुनाने के बहुत समय बाद उसके पुत्र राजा जन्मेजय को सुनाया कथा वाचिका राधा किशोरी ने बताई कि सतयुग में कर्दम ऋषि के भक्ति से इतना खुश हुए कि रो पड़े। इससे उनके आंखों से निकले अश्रू की धारा बिंदुसार नदी बन गई ।

कथा का आनन्द लेने भक्त लोग बड़ी संख्या में पहुंच रहे हैं

कार्यक्रम में सभी ग्रामवासियों का सहयोग तन मन धन से मिल रहा है। जिसमें प्रमुख ग्राम पटेल तारण सिंह ठाकुर, सरपंच सुनिती बाई ध्रुव, संतु राम ध्रुव, ग्राम विकास समिति अध्यक्ष चैतू राम ध्रुव,डीहू राम ध्रुव,हरिश्चंद्र तारक, मानिक राम यादव ,ललेसरु राम ध्रुव देवनाथ ध्रुव,गणेश यादव, रामाधार दीवान,रामचंद दीवान भागी राम दीवान बरसन साहू जहुर दीवान ,फगेश्वर साहू ,जीवन कमार ,मोहन विश्वकर्मा पुरानिक राम ध्रुव आदि के अलावा सरस्वती महिला मंडल और घटारानी महिला मंडल की माताएं आदि तन मन धन से जुटी हुई है

आयोजकों ने बताया कि मंच में कथा का प्रसारण के समय में बदलाव करते हुए दिन के दोनों प्रहर में चलेगा जो पुर्व में मात्र दिन के दूसरे प्रहर पर निर्धारित था जिसे श्रोताओं के अनुकूलता के आधार पर बदलाव किया गया है।जो सुबह मूल परायण आरती पश्चात कथा दस बजे से एक बजे मध्यान्ह अल्पावकाश पुनः ढाई बजे से शाम पांच बजे तक कथा चल रही है।जिसको सुनने दूर दराज के लोग रोज पहुंच रहे है।

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