छुरा ब्लॉक के ग्राम साजापाली के ग्रामीण खाने के साथ सालो से खा रहे है मक्खी,पोल्ट्री फार्म के बदबू ने कर रखा ग्रामीणों का जीना दुभर,दर्जनों बार जांच लेकिन कार्यवाही शून्य, ज़िम्मेदारो के कार्यों पर उठने लगा है सवाल,पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के नियमो की उड़ रही है खुलेआम धज्जीया - Savdha chhattisgarh
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छुरा ब्लॉक के ग्राम साजापाली के ग्रामीण खाने के साथ सालो से खा रहे है मक्खी,पोल्ट्री फार्म के बदबू ने कर रखा ग्रामीणों का जीना दुभर,दर्जनों बार जांच लेकिन कार्यवाही शून्य, ज़िम्मेदारो के कार्यों पर उठने लगा है सवाल,पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के नियमो की उड़ रही है खुलेआम धज्जीया

 


परमेश्वर कुमार साहू @ छुरा।गरियाबंद जिले के आदिवासी बाहुल्य ब्लॉक छुरा के ग्राम पंचायत साजापाली में सारे नियमो के विपरित आबादी क्षेत्र में पोल्ट्री फार्म का संचालन हो रहे है।जिससे निकलने वाली बदबू और मक्खी से ग्रामीण सालो से परेशान है।जिसको लेकर ग्रामीणों द्वारा दर्जनों बार शिकायत किया जा चुका है लेकिन आज तक कोई उचित कार्यवाही नही हो पाई।जिसके चलते ग्रामीण पोल्ट्री फार्म से उत्पन्न मक्खियों और बदबू से खासे परेशान है। यहा के ग्रामीणों का मक्खी के वजह से खाना खाना मुश्किल हो गया है।क्योंकि पोल्ट्री फार्म से उत्पन्न मक्खियों की संख्या इतनी है की पूरी गांव भर में फैलकर लोगो भोजन तक पहुंच जाता है।जिसे आसानी से भगा भगा कर खाना आराम से खाना इतना आसान नहीं है।या यूं कहे की साजापाली के ग्रामीण खाने के साथ मक्खी खा रहे है।इनकी लगातार मांग थी कि पोल्ट्री फार्म को अन्यत्र स्थानांतरित किया जाए।लेकिन ग्रामीणों का कोई सुनने वाला नहीं है।जिसके चलते बदबू और मक्खीयो के बीच अपनी जिदंगी गुजारने मजबूर है।दर्जनों बार शिकायत होने के बावजूद भी आज तक कोई ठोस कार्यवाही नही पाई।जिससे पोल्ट्री फार्म के संचालक के हौसले बुलंद है।कई कलेक्टर,तहसीलदार,एसडीएम आए लेकिन किसी ने इस पोल्ट्री फार्म को हटाने और ग्रामीणों की समस्याओं के निराकरण के लिए जहमत नहीं दिखाए।जिससे ग्रामीणों का प्रशासन से भरोसा उठा गया है।कुछ दिन पहले सीएम जन चौपाल में भी लिखित शिकायत हुआ था।जिसकी जांच के हल्का पटवारी को जांच अधिकारी बनाकर भेजा गया था।जिसमे पोल्ट्री फार्म स्थित जमीन को सरकारी जमीन बताया गया।इसके बावजूद भी त्वरित कोई कार्यवाही नहीं पाया।

बता दे की पोल्ट्री फार्म का संचालन पूर्व जनपद सदस्य खेलन बाई द्वारा संचालन किया जा रहा है।जो पूर्व में एक जिम्मेदार पद पर रह चुके है और इसके पति भी शिक्षक के पद पर पदस्थ है।जो सारे नियमो को ताक में रखकर पोल्ट्री फार्म का संचालन कर रहे है।इसके पास पोल्ट्री फार्म के संचालन के लिए किसी भी प्रकार से एनओसी नही है और न ही पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के किसी भी नियम का पालन कर रहे है।जबकि पोल्ट्री फार्म भी सरकारी जमीन पर स्थित है।उक्त पोल्ट्री फार्म के संचालक रसूखदार और पहुंच वाले है जिसके वजह से कोई भी नियम कायदा कानून इस पर लागू नहीं हो रहा है और न ही जिम्मेदार अधिकारी इस पर कार्यवाही के लिए जहमत उठा पा रहा है।जिसके चलते इनके हौसले  लगातार बुलंद होते जा रहा है और खुलेआम ग्रामीणों के स्वास्थ के साथ खिलवाड़ कर रहे है।उक्त पोल्ट्री फार्म से लगभग 70-80 मीटर की दूरी पर पेयजल,आंगनबाड़ी,शासकीय उचित मूल्य की दुकान सहित सार्वजनिक स्थान के साथ साथ घने आबादी क्षेत्र और शैक्षणिक संस्थान है।जो इसके दुष्प्रभावों को सालो से झेल रहा है।इसके बावजूद भी जिम्मेदार कुंभकर्णी निद्रा में है।जिन अधिकारियों को इसकी मॉनिटरिंग की जिम्मेदारी है केवल दफ्तर में बैठकर केवल कागजी कार्यवाही करने में लगे है।इन्हे आम जनता की समस्याओं के प्रति कोई सरोकार नहीं है।

पोल्ट्री फार्म का मनुष्य पर अप्रत्यक्ष प्रभाव

ब्रॉयलर और लेयर की बीट में नमी होती है। इस बीट की ओर मक्खियां आकर्षित होती हैं। मक्खियों की भरमार मनुष्य पर अप्रत्यक्ष प्रभाव डालती हैं। पोल्ट्री के आसपास मक्खियां की भरमार होती है। मक्खियां दुधारु पशुओं को परेशान करती हैं। इस कारण पशु दूध में कमी कर देता है। वहीं मक्खियां हॉर्टिकल्चर पर खासा प्रभाव डालती हैं और फ्रूट की क्वालिटी डाउन होती चली जाती है जबकि मनुष्य में डायरिया रोग फैलता है।

ये है नई गाइड लाइन

नए पोल्ट्री फॉर्म के लिए प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड से एनओसी लेनी पड़ेगी। नई हिदायतों के अनुसार पोल्ट्री फॉर्म रिहायशी क्षेत्र से 500 मीटर की दूरी पर होना चाहिए। प्रमुख वाटर संस्थान से 200 मीटर, पानी पीने के स्थान से 1000 मीटर, दैनिक उपयोग की वस्तुएं बनाने वाले उद्योगों से 500, पब्लिक रोड से 200 मीटर दूर, मृत मुर्गियों को खुले में जलाने के बजाए बिजली की भट्टियों में डाला जाए। पोल्ट्री फार्म के आसपास ग्रीन बेल्ट का निर्माण होना चाहिए।

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