राजिम स्थित लाइफ केयर एडवांस डायग्नोस्टिक सेंटर उड़ा रहे है नर्सिंग होम एक्ट कानून की खुलेआम धज्जी, नियमों का नही कर रहे पालन, सुविधाओ के नाम पर बरत रहे है भारी मनमानी, मोटी रकम से मिल जाता है स्वास्थ विभाग से लाइसेंस,आखिर कब जागेगा प्रशासन और कब सुधरेगी व्यवस्था.....
परमेश्वर कुमार@गरियाबंद। गरियाबंद जिले में स्वास्थ विभाग के सह पर उच्च न्यायालय एवम नर्सिंग होम एक्ट के नियमो की खुलेआम धज्जिया उड़ाने का खेल इन दिनों खूब चल रहा है ।जिसके चलते सारे नियमों को ताक में रखकर निजी हॉस्पिटल, पैथोलॉजी लैब ,डायग्नोस्टिक सेंटर का संचालन खुलेआम चल रहा है। जंहा कोई भी संस्थान नर्सिंग होम एक्ट के नियमो का पालन नहीं कर रहे है। जिन अधिकारियों को नियमो के पालन करने की अहम जिम्मेदारी दी गई है वो केवल मॉनिटरिंग के नाम पर शासन का डीजल पेट्रोल बर्बाद कर सरकारी वाहन का उपयोग केवल सड़क मापने बस का काम कर रहे है। इन अधिकारियों को इनका वेतन समय पर तो मिल ही जा रहा है। लेकिन शासन के कार्यों एवम अपने दायित्वों के प्रति गैरजिम्मेदार अधिकारी जरा से भी गंभीर नजर नहीं आ रहे है। उच्च स्वास्थ विभाग द्वारा निजी स्वास्थ संस्थानों को नर्सिंग होम एक्ट के नियमो का पालन कराने नोडल अधिकारी के साथ-साथ स्पेशल से टीम गठित किया गया है। जिसका कार्य निजी स्वास्थ संस्थानो के इंसफेक्शन के साथ-साथ नियमो का पालन कराने के भी जिम्मेदारी है।लेकिन जिम्मेदार अधिकारी मॉनिटरिंग के नाम पर केवल खाना पूर्ति करने में लगे है।ऐसा लगता है कि नियमो के विपरित कार्य करने वाले और उनका मखौल बनाने वालो के साथ जिम्मेदार मिलीभगत कर मोटी कमीशन वसूल करने में लगे है।जिसके चलते नियम का पालन न करने के बावजूद भी विभाग द्वारा इन्हे परमिशन मिल रहा है। नतीजन गरियाबंद जिले में नियमो की खुलेआम धज्जियां उड़ाते हुए स्वास्थ विभाग में अनेक गतिविधियां अवैध रूप से संचालित हो रही है।जो सारे नियम,कायदा, कानून के विपरित है।
जिले के धर्म नगरी राजिम में पथर्रा मार्ग में स्थित लाइफ केयर एडवांस डायग्नोस्टिक सेंटर का संचालन सारे नियमों के विरुद्ध विभाग की सरपरस्ती में खुलेआम चल रहा है। विभाग के संरक्षण में इनका व्यापार खूब फल फूल रहा है ।जिसमे स्वास्थ विभाग की मिली भगत से इंकार नहीं किया जा सकता।उक्त सेंटर के संचालन द्वारा भारी अनियमितता बरतते हुए कानून के सारे नियम को तार तार कर रहे है।इसके पास न तो खुद का कोई स्थाई वाहन पार्किंग है और न ही सुविधाजनक कोई महिला,पुरुष सहित दिव्यांग के लिए कोई लेट बाथरूम की व्यवस्था।नर्सिंग होम एक्ट के सारे नियमो के विपरित संचालित उक्त सेंटर में सुविधाओं की अनदेखी की जा रही है।आपको बता दे की इस सेंटर में क्षेत्र के सैकड़ों मरीज रोज सीटी स्कैन,सोनोग्राफी, एक्स रे सहित अनेक प्रकार के जांच करवाने आते है।जिसके लिए पूर्ण रूप से सुविधा देने में उक्त सेंटर पूरी तरह से नाकाम होने के साथ साथ नियमो में खरा नहीं उतर पाया है।फिर भी इसे स्वास्थ विभाग ने लाइसेंस प्रदान कर दिया।लेकिन कभी भी जिम्मेदारो को इस ओर झांकने तक की फुर्सत नही मिली। सुविधा के नाम पर आम नागरिक केवल ठगा जा रहा है और स्वास्थ विभाग कुंभकर्णी निद्रा में है।क्योंकि इन्हे आम जनता के प्रति कोई सरोकार नहीं है।जब इस मामले को लेकर लाइफ केयर के संचालक आयुष शर्मा से बात किया गया तो वो सड़क की जमीन को ही अपना स्थाई वाहन पार्किंग जगह बताने में लगे है और लेट बाथरूम के बारे में जानकारी लेने पर गोल मोल जवाब देने लगे।जबकि सेंटर के हिसाब से इसका होना अति आवश्यक है।आखिर कब जागेगा प्रशासन और कब सुधरेगी व्यवस्था ये बड़ा सवाल है क्योंकि कानून पैसों वाले पर कभी लागू नहीं होता है केवल गरीबों पर लागू होता है।पहुंच,पैसों और पावर के सामने गरियाबंद जिले में कानून नतमस्तक होता नजर आ रहा है।जिस पर लगाम लगाने वाला कोई भी नजर नहीं आ रहा है।