छुरा वन परिक्षेत्र अंतर्गत अमेठी सर्कल में पदस्थ जिम्मेदार बरत रहे है बड़ी लापरवाही, शासन की महत्वपूर्ण योजना आक्सी वन को बर्बाद करने में लगे है वनकर्मी, इस सर्कल में पदस्थ डिप्टी रेंजर और कर्मचारी की मनमानी हो रही है उजागर,पेड़ पौधों और पर्यावरण की सुरक्षा को लेकर उठ रहे है सवाल
परमेश्वर कुमार साहू @गरियाबंद । शासन द्वारा वनों को सुरक्षित रखने और पर्यावरण को सहजने तरह तरह के जतन कर रहे है।जिसके लिए लाखो करोड़ो खर्च कर रहे है।लेकिन जिसको इसकी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है वे अधिकारी कर्मचारी केवल तनख्वाह तक सीमित है और जंगल को उजाड़ करने वालो को संरक्षण देने में लगे है।
वन विभाग में आक्सी वन के नाम पर शासन द्वारा कइयों तरह के प्रयास कर रहे है।जिसमे गरियाबंद जिले के छुरा वन परिक्षेत्र के अंतर्गत अमेठी सर्कल के बिट गार्ड सहित डिप्टी रेंजर गैरजिम्मेदार हो गए है। यहा पदस्थ डिप्टी रेंजर सतीश सिन्हा अपने आपको विभाग का दादा और डीएफओ से कम नहीं समझते है जो वनों की सुरक्षा करने के बजाय जंगल को बर्बाद करने में लगे है।इस सर्कल में ग्राम अमेठी में वन लोहझर मार्ग में आक्सी वन है।जिसे सहजने में इस सर्कल के जिम्मेदार पूरी तरह से नाकाम साबित हो रहे है।जिसके चलते यह सर्कल का जंगल अतिक्रमण और हरे भरे पेड़ पौधों की कटाई से लगातार सिमटते जा रहा है।वही वन परिक्षेत्र अधिकारी वनों की सुरक्षा को लेकर सजग है और कईयो प्रयास कर रहे है लेकिन युवा रेंजर की सादगी का फायदा उठाकर अमेठी सर्कल के रेंजर और बिटगार्ड अपनी मनमानी करने पर उतारू हो गए है।अमेठी सर्कल को लेकर हमारी मीडिया की टीम लगातार पड़ताल कर रहा है और जल्द ही एक बड़ा खुलासा करेंगे।लेकिन आपको एक दिलचस्प बात बता देते है की डिप्टी रेंजर सतीश सिन्हा और बिट गार्ड महेश दीक्षित अपने कर्तव्यों के विपरित कार्य करते हुए जंगल को नुकसान करने वालो को संरक्षण दे रहे है और पहले भी कईयों मामले को लीपापोती कर चुके है।जिससे आम नागरिक में काफी रोस है।जिसमे डिप्टी रेंजर द्वारा गिदावरी के मामले में जांच अधिकारी बनकर अपने कर्मचारियों को बचा चुका है जो आज प्रमोशन होकर बाहर चले गए है।जब इस मामले को लेकर डिप्टी रेंजर सतीश सिन्हा को फोन किया गया तो उन्होंने सवाल सुनकर फोन काट दिया।वही छुरा रेंजर को फोन करने पर उन्होंने विभागीय कार्य में व्यस्तता होने और फ्री होकर वापस फोन करने की बात कही।इस मामले को लेकर बिट गार्ड महेश दीक्षित को भी उनके मोबाइल नंबर पर उनका पक्ष जानने फोन किया गया।लेकिन उसका नंबर नेटवर्क से बाहर आया।