जिला रत्नाँचल साहित्य परिषद का हुआ पुनर्गठन - Savdha chhattisgarh
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जिला रत्नाँचल साहित्य परिषद का हुआ पुनर्गठन

 


पांडुका । स्थानीय साहित्य भवन में शनिवार को शाम 3:00 बजे जिला रत्नांचल साहित्य परिषद गरियाबंद की आवश्यक बैठक रखी गई थी जिसमें समिति के पदाधिकारियों का पुनर्गठन किया गया। सर्वसम्मति से युवा शायर जितेंद्र सुकुमार साहिर को अध्यक्ष मनोनीत किया गया। उपाध्यक्ष कमलेश कौशिक फिंगेश्वर, देवेंद्र ध्रुव छुरा, प्रदीप साहू मैनपुर, बीएल श्रीवास गरियाबंद बनाए गए। महासचिव फणेन्द्र साहू 'मोदी', कोषाध्यक्ष पुरुषोत्तम चक्रधारी, सहसचिव विजय कुमार सिन्हा, मीडिया प्रभारी संतोष कुमार सोनकर मंडल, संगठन मंत्री मोतीलाल साहू, मोतीराम त्यागी, भोज राम साहू, संतोष व्यास, प्रचार मंत्री कुलेश्वर सोनवानी, लोकेश्वर दास मानिकपुरी, राजेश साहू,संरक्षक वरिष्ठ साहित्यकार मुन्नालाल देवदास, नूतन साहू, राधेश्याम सेन एवं सलाहकार टीकम चंद सेन दिवाकर को बनाया गया। इस मौके पर परिषद की मजबूती एवं सुचारु संचालन के लिए नियमावली बनाई गई तथा साल में तीन बार गोष्ठी करना अनिवार्य बताया गया। इस मौके पर जिला अध्यक्ष जितेंद्र सुकुमार साहिर ने कहा कि साहित्य समाज का दर्पण होता है और साहित्यकार समाज में ही रह कर मुख्य भूमिका निभाते हैं। हमारे जिला रत्नांचल साहित्य परिषद का मुख्य उद्देश्य सभी साहित्यकारों को एकजुट कर लिखने  के लिए खूब मेहनत करने करने के लिए प्रोत्साहित करना  है। उन्होंने कहा कि गरियाबंद जिला का गठन 2011 में हुआ है कम समय में साहित्य के क्षेत्र में जिला का नाम पूरे प्रदेश और देश में जागृत करना है इसके लिए यहां के रचनाकारों को कमर कस कर खूब मेहनत करने की आवश्यकता है। मौके पर संरक्षक मुन्नालाल देवदास ने खूब लिखने और आगे बढ़ने की ओर प्रेरित किया। नूतन साहू ने कहा कि शपथ ग्रहण के लिए भव्य कार्यक्रम आयोजित होगा जिसमें जिले के सभी साहित्यकारों को आमंत्रित किया जाएगा। जिला रत्नांचल साहित्य परिषद 3 सालों में लगातार साहित्यिक रचना के माध्यम से जाना गया है हम सब का प्रयास होगा कि यह जिला स्तर तक ही सीमित ना रहे बल्कि प्रदेश और देश भर में यहां के रचनाकार पत्र-पत्रिकाओं या फिर अन्य माध्यम से एक विशेष पहचान बनाएं। भविष्य में समिति द्वारा पत्रिका भी प्रकाशित की जाएगी जिस पर रचनाकारों की रचनाओं को खासतौर से स्थान दिया जाएगा। इस अवसर पर काव्य पाठ किया गया जिसमें छत्तीसगढ़ी एवं हिंदी कविताओं के प्रस्तुतीकरण ने रंग जमा दी। कार्यक्रम का संचालन फणेन्द्र मोदी ने किया।

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