भ्रष्टाचार की पराकाष्ठा पार कर गए ग्राम पंचायत कुरूद,सांकरा, सरकडा और फुलझर के सचिव ,मेरी पंचायत"एप से बेनकाब हो रहे पंचायत सचिव और ग्राम सरपंच का कारनामा
भ्रष्टाचार की गोद में तैर रहे सचिव,उच्च विभाग को शिकायत के बाद कोई जांच कार्यवाही नहीं ,क्या मिलीभगत से चल रही है नियम विरुद्ध कारनामा,अधिकारी ने कहा जल्द होगी जांच और कार्यवाही
परमेश्वर कुमार साहू@गरियाबंद।गरियाबंद देश का गृहमंत्री आज जब लोकसभा में 130वाँ संविधान संशोधन द्वारा "ना खाऊंगा ना खाने दूंगा" को मूर्तरूप देने नया कानून बनाने की तैयारी कर रही है जिससे भ्रष्ट्राचार की गंगा को उसके श्रोत में ही सुखा देना चाहता है ताकि वह समाज के सबसे नीचे तक बहने और फलने-फूलने का कोई गुंजाइस ही नही रहे।
जब देश के सबसे बड़े पंचायत में ऐसा कानून बिल के रूप में प्रस्तुत किया जा चुका है तब हमारे पंचायती राज संस्थाओं के नुमाइंदों को आखिर कब और कैसे नियंत्रित किया जावेगा इस पर भी आज विचार करने की नितांत आवश्यकता है जिसमें पंचायत के सचिव और सरपंच आपसी मिलीभगत से विकास की राशि को हड़प कर बंदरबाट मचाये हुए है।
छत्तीसगढ़ में विकास की राशियों का आज बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा कर हमारे पंचायत प्रतिनिधि जिसमें सरपंच और पंचायत सचिव शामिल है। मेरी पंचायत एप में जाकर कोई भी नागरिक अपने-अपने पंचायत का निरीक्षण कर सकता है। जिससे रियल टाईम पेमेंट की जानकारी सर्वसुलभ उपलब्ध है और जिससे पंचायतों के कारनामों का खुला और नग्न रूप देखे जा रहे है।
विगत अनेक वर्षों से चुनिंदा दुकानदारों से लेन-देन और फर्जी बिल-बाऊचर द्वारा निकासी का खेल पंचायते खेल रही है। जिसमें सबका कमीशन फिक्स है। तीन से पाँच परसेंट की कमीशन पर फर्जी आहरण का खेल लगभग सभी पंचायते खेल रही है। जॉच टीम के सदस्य भी इससे अनभिज्ञ नही है जिसे आडिट में ना पकड़ा जा सके। बावजूद धड़ल्ले से यह खेल पूरे प्रदेश स्तर पर खेला जा रहा है।
चिंन्हित वेण्डरों को पेंमेंट करना फिर 3 या 5 परसेंट की कमीशन काटकर पेमेंट वापस प्राप्त करने का यह खेल दशकों से पंचायतों द्वारा किया जा रहा है। यही वह रास्ता है जिसके कारण विकास की रफ्तार नजर ही नही आता है। सरकारें पंचायतों को फंड तो बराबर देती है लेकिन पंचायतों के नुमाइंदे इस पर कुंडली मार बैठ जाते है और फर्जी आहरण कर विकास कार्य को अवरूद्ध करते है।
आखिर कब तक लूट का यह खुला और नग्न खेल जारी रहेगा कहना मुश्किल है। सरकार और प्रशासन के नुमाइंदों को इसकी बराबर जानकारी है बावजूद इसे जारी रखना समझ से परे मालूम पड़ता है। मूलभूत और वित्त आयोग की राशियों का बंदरबाट आखिर कब और कैसे रूकेगा। क्या इसके लिए भी केन्द्र सरकार ही पहल करेगी या फिर राज्य सरकारों की कोई जिम्मेदारी बनती है। आदिवासी बाहुल्य ब्लॉक छुरा के ग्राम पंचायत फुलझर,सांकरा, सरकड़ा और कुरूद में जिस तरह से पंचायती राज अधिनियम के विरुद्ध और सभी कानून के नियम के विपरीत ग्राम विकास की राशि का फर्जी तरीके से आहरण किया गया।जिसमे इन सचिवों को कानून का कोई भय नहीं है।सचिव गीतेश्वरी साहू,ममता साहू, खेमन साहू,उमा साहू के द्वारा अपने पद का लगातार दुरुपयोग करते हुए फर्जी बिल के माध्यम से शासन को लाखो का चुना लगा रहे है।जिसकी शिकायत पंचायत एव ग्रामीण विकास विभाग इंद्रावती भवन को लिखित में हुआ है।
भ्रष्ट्राचार की इस अविरल गंगा को अब बहने से ग्राम स्तर में रोकना है तो समाज के सभी वर्गों को अपनी जिम्मेदारी संभालनी होगी और मेरी पंचायत एप से लगातार निगरानी रखकर भुगतान की वास्तविकता को ग्राम समाज में चर्चा में लाना होगा ताकि गाँवों के विकास कार्य में कोई व्यावधान और रूकावटे ना आने पाये।
