राजिम की बदली चुनावी फिंजा, रोहित साहू और अमितेश शुक्ला के बीच कांटे की टक्कर - Savdha chhattisgarh
ad inner footer

राजिम की बदली चुनावी फिंजा, रोहित साहू और अमितेश शुक्ला के बीच कांटे की टक्कर


 परमेश्वर कुमार साहू@गरियाबंद।राजिम विधानसभा में इस चुनाव में बाजी किसके हाथ लगेगा इसको लेकर क्षेत्र में चर्चाओं का दौर जैसे-जैसे चुनाव की तारीख नजदीक आते जा रही है वैसे-वैसे जोर पकड़ती जा रही है। गाँव, गली, मुहल्ले ही नही घर-घर में कांग्रेस प्रत्याशी अमितेश शुक्ल और भाजपा प्रत्याशी रोहित साहू को लेकर चर्चाओं का दौर जारी है।

राजिम क्षेत्र के अमूमन सभी गाँवों में दोनो प्रमुख पार्टियों के प्रत्याशियों के निजि व्यावहार को लेकर चर्चा तो है ही यह भी कि जनता की पहुंच में कौन होगा इसको ज्यादा महत्तव दिया जा रहा है। लोग याद करते है कि जोगी शासन में जब अमितेष शुक्ल पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री थे तो उन्होने क्षेत्र में विकास पर काफी जोर दिया था लेकिन तब चुनाव में उनकी चंदूलाल साहू से करारी पराजय का सामना करना पड़ा तब से वे विकास योजनाओं से दूर भागते है। ऐसी क्षेत्र के मतदाताओं में चर्चा है। लोगों का यह भी कहना है कि तब अमितेष शुक्ल ने कांग्रेस के पुराने कार्यकताओं की अपेक्षा भाजपा से कांग्रेस में आये लोगो पर और तत्कालिन ग्राम सरपंचों पर जरूरत से ज्यादा भरोसा किया था और पार्टी कार्यकताओं की नाराजगी उनपर भारी पड़ी थी। साथ ही गांव-गांव में तब मारपीट, दंगे और कुछ स्थानों पर हत्या तक में पुलिस की भूमिका को तत्कालिन सत्ता पक्ष की प्रशय के रूप में देखा गया और नतीजतन नये नवेले चंदूलाल साहू के मुकाबले अमितेष शुक्ल को पराजय झेलना पड़ा था।

तब से लेकर अब तक महानदी में काफी पानी बह चुका है। और फिर जन्मजात कांग्रेसी विचारधारा के सन्तोष उपाध्याय को भापजा में शामिल कर भाजपा ने उन्हे विधायक तो बना दिया लेकिन अमितेष भी पीछे नही रहे। एक बार उपाध्याय के हाथों मिली हार से उबरते हुए अमितेष पुनः विधायक निर्वाचित हुए। हलांकि तब भाजपा प्रत्याशी को लेकर क्षेत्र में भयंकर नाराजगी थी जिसे भापने में भाजपा की चूक हुई उपर से कर्जमाफी की घोषणा ने तब अमितेष शुक्ल को भारी बहुमत से विजयी बनाया।

यह बात भी बिते दिनों की है। लेकिन इस चुनाव में भाजपा ने भूल सुधार कर लिया है और भाजपा से इस बार जिला पंचायत सदस्य रोहित साहू को चुनाव मैदान में उतार कर जहां पिछड़ा वर्ग को तो साध ही लिया है। युवाओं को भी नया जोश से भर दिया है। रोहित साहू अभी युवा है और विनम्र भी जिसके पूरा फायदा भाजपा प्रत्याशी को मिलने की संभावना व्यक्त की जा रही है। युवाओं का रूझान इस बार रोहित साहू को लेकर स्पष्ट देखा जा सकता है। वे आज युवाओं बुजुर्गों और महिला मतदाताओ की पहली पसंद बने हुए है। जिसे रोहित साहू वोट के रूप में कितना भूना पाते है यह तो चुनाव परिणाम ही बतायेगा।

बहरहाल चुनाव की जोर आजमाईस अपने पूरे शाबाब पर देखी जा रही है। कुछ दिन पूर्व तक क्षेत्र में एक खामोशी सी छाई हुई थी लेकिन पार्टियों द्वारा चुनाव घोषणा पत्र जारी किये जाने के साथ इस गुलाबी ठंड के मौसम में गरमाहट ला दी है। निर्दलीय प्रत्याशियों की कही कोई चर्चा इस दौरान भ्रमण और चर्चा में नही देखी गई है जिससे मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेस प्रत्याशी के बीच ही होने का अनुमान है। राजिम क्षेत्र की जनता और खासकर मतदाताओं ने प्रत्याशियों के साथ अपनी आसान पहुंच को बड़ा मुद्दा बता रहे है जो कि गौर करने वाली है। अतीत में भी उनका यह प्रयास निष्फल गया था लेकिन भी लोगों ने उम्मीद बांध रखी है कि उनका प्रतिनिधि वक्त में आखिरकार उनकी सुने तो सही जिसपर वे पुनः दांव लगाने जा रहे है।

Previous article
Next article

Articles Ads

Articles Ads 1

Articles Ads 2

Advertisement Ads