लापरवाह छात्रावास अधीक्षिको को मनमानी करने जिम्मेदार अधिकारियों की खुली छूट,गरियाबंद जिले में आदिवासी बच्चों के हक में चल रही है जमकर कमीशनखोरी,नगिनबाहरा के बालिका छात्रावास में अव्यवस्था बता रहे है लापरवाही की कहानी
परमेश्वर कुमार साहू@गरियाबंद।गरियाबंद जिले के आदिवासी छात्रावासो में लापरवाही और अव्यवस्थाओ का आलम इस कदर है की बच्चो की थाली से दाल गायब हो रहा है।वही छात्रावासो में अव्यवस्था फैली हुई है।जिसे देखने वाला कोई नही।जिसके चलते छात्रवास अधीक्षकों की मनमानी लागतार जारी है।वही जिम्मेदार पद में जिले में बैठे अधिकारी केवल एसी रूम में बैठकर केवल दफ्तर की शोभा बढ़ाने बस में लगे है।इन्हे शासन के कार्यों ,योजनाओं और अपने कर्तव्यों सहित आदिवासी बच्चों की समस्याओ से कोई सरोकार नहीं है।क्योंकि इन्हे तो समय पर वेतन के साथ साथ छात्रवास में बच्चो के हक में कटौती से मिलने वाले कमीशन भी समय पर मिल जा रहा है।वही कई निर्माण कार्य केवल कागजों में ही बन जा रहा है।जिससे संबंधित विभाग के अधिकारी खूब मालामाल हो रहे है।
गरियाबंद जिले के आदिवासी बाहुल्य ब्लॉक छुरा के आखिरी छोर पर घने जंगलों के बीच स्थित आदीवासी कन्या आश्रम में छात्रावास अधीक्षिका की मनमानी और बड़ी लापरवाही देखने को मिला। जहा इस छात्रावास में पढ़ने वाले आदिवासी बच्चों के हक में डांका डाल थाली से दाल गायब कर रहे है।वही छात्रावास के अंदर अव्यवस्थाओ का आलम है इस कदर है शौचालय का दरवाजा टूटा फूटा पड़ा हुआ है और पूरी तरह से गंदगी से सराबोर है।लेकिन यहा पदस्थ अधीक्षिका अपने आपको किसी कलेक्टर से कम नहीं समझती।अपनी लापरवाही को छिपाने मीडिया को भी धौंस दिखाने से गुरेज नहीं करते।जब मामले की पड़ताल करने हमारी मीडिया की टीम नागिनबाहरा के बालिका छात्रावास पहुंचा तो अधीक्षिका छात्रावास से गायब थी।फिर वहा पर एक शिक्षिका मौजूद थी।जो इसी छात्रावास के बच्चो को पढ़ाती है।लेकिन दिलचस्प बात ये भी देखने को मिला की अधीक्षिका अपने पद का दुरुपयोग करते हुए छात्रावास में पदस्थ कर्मचारियों के अतिरिक्त उक्त महिला शिक्षाकर्मी को छात्रावास परिसर के अंदर के भवन में रहने के लिए जगह दिए है।जो नियम विरुद्ध है।मीडिया की टीम छात्रावास के अंदर की हर लापरवाही को कैमरे में कैद किया और बच्चो से बात किया।तब तक अधीक्षिका भी छात्रावास पहुंच गई।लेकिन उन्होंने मीडिया के सवालों के जवाब देने के बजाय, उल्टा ही नसीहत देने में लगे थे।इतना ही नही मीडिया की टीम को अभद्र पूर्वक शब्दो और उंगली दिखाते हुए छात्रावास से बाहर निकलने बोलने लगे।अब सवाल ये है की छात्रावासो में एसा कौन सी गतिविधि होती है जो मीडिया को प्रवेश पर रोक लगाया जाता है। हा लेकिन नागिनबाहरा के छात्रावास में अधीक्षिका की लापरवाही और मनमानी साफ तौर पर देखने को मिला।जिसको विभाग में जिले बैठे अधिकारियों का खुला संरक्षण है।वहीकिसी भी मामले को लेकर जब भी संबंधित अधिकारी को फोन जाता है तो उन्होंने कभी भी फोन उठाना ज़रूरी नही समझा।उक्त विभाग भ्रष्टाचार का गढ़ भी बन गया है। जंहा जिम्मेदारों ने कई निर्माण कार्य को केवल कागजों में बना दिया है।तो कइयों निर्माण कार्य स्थल पर अभी तक सूचना बोर्ड भी नही लगा है। कोविड और लाकडाउन के दौरान तो इस विभाग में अधिकारी मालामाल भी हो गए है जो केवल कागजों में निर्माण कर राशि भी आहरण कर शासन को चुना लगाने का बड़ा खेल खेला है।जिसकी पड़ताल की जा रही है।जिसका जल्द ही उजागर कर गैरजिम्मेदारो के करतूतों को सामने लाया जाएगा।