महासमुंद जिले के ग्राम पंचायत बकमा के आश्रित ग्राम कोना में सारे नियमो को ताक में रखकर हो रहा है पोल्ट्री फार्म का संचालन,पोल्ट्री फार्म के संचालक ने मीडिया से कहा तुम कौन होते बिना परमिशन के मेरे पोल्ट्री फार्म को झांकने वाला,तुमको कौन बोला इधर उधर घूमने,जो छापना है छाप लो लेकिन सोच लेना.... - Savdha chhattisgarh
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महासमुंद जिले के ग्राम पंचायत बकमा के आश्रित ग्राम कोना में सारे नियमो को ताक में रखकर हो रहा है पोल्ट्री फार्म का संचालन,पोल्ट्री फार्म के संचालक ने मीडिया से कहा तुम कौन होते बिना परमिशन के मेरे पोल्ट्री फार्म को झांकने वाला,तुमको कौन बोला इधर उधर घूमने,जो छापना है छाप लो लेकिन सोच लेना....


महासमुंद ।महासमुंद जिले में सारे नियम कायदा,कानून के विपरित सैकड़ों पोल्ट्री फार्म का संचालन हो रहा है।पोल्ट्री फार्म के संचालकों द्वारा प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के सारे नियमो को ताक में रखकर लोगो के स्वास्थ के साथ खुलेआम खिलवाड़ करने में लगे है।लेकिन प्रशासन मूकदर्शक बन तमाशा देखने में लगा है।

एक ऐसा ही मामला महासमुंद जिले के बकमा पंचायत के आश्रित ग्राम कोना में देखने को मिला जंहा सारे नियमो के धज्जियां उड़ाते हुए आबादी क्षेत्र के अंदर पोल्ट्री फार्म संचालित है।जिससे ग्रामीण बदबू और मक्खी से परेशान है।लेकिन उक्त पोल्ट्री फार्म के संचालक एक दबंग और राजनीति में ओहदे लोगो से पकड़ वाला व्यक्ति होने के कारण कोई भी ग्रामीण आवाज उठाने से कतराते है।वही पोल्ट्री फार्म के आसपास सार्वजनिक तालाब और अभी हाल ही में यहा पर शासन की महत्वपूर्ण नल जल योजना के तहत पानी टंकी का निर्माण हो रहा है।मीडिया द्वारा इस मामले की पड़ताल किया गया और लोगो से जानने का प्रयास किया गया।तो ग्रामीणों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया की पोल्ट्री फार्म के वजह से मक्खी बहुत है खाना खाने के समय बहुत दिक्कत होती है और बदबू भी बहुत आता है।

जब पहले पोल्ट्री फार्म के संचालक वेणु चंद्राकर को होने की जानकारी मिली।जो ग्राम पंचायत सचिव के जिम्मेदार पद पर वर्तमान में बरबसपुर में पदस्थ है। जिसके बाद उसका संपर्क नंबर व्यवस्था कर पोल्ट्री फार्म के संचालन के संबंध उनसे जानकारी लेने फोन करने पर पोल्ट्री फॉर्म तुसार चंद्राकर का होना बताते हुए कहा कि दिक्कत क्या है ।आसपास और पोल्ट्री फार्म है उसका जानकारी लिए हो कहकर फोन काट दिए।उसके कुछ ही देर बाद  9926204434 नंबर  से हमारे पास फोन आया और अपने आपको तूसार चंद्राकर बताते हुए मीडिया से दबंगई और अभद्रता पूर्ण धमकाते हुए बात करते हुए मीडिया को ही नसीहत भरे बात करने लगा।आइए बताते है नियम विरुद्ध पोल्ट्री फार्म के संचालक ने मीडिया से किस तरह रौबदार बात की..

कौन सा प्रेस वाला हो भाई।जिसका कोना में पोल्ट्री फार्म देखने गए थे वही बोल रहा हु तुसार चंद्राकर।आफिस कन्हा है आपका।आपको कौन बोला इधर गांव में घूमने के लिए।मीडिया वाली बात नही है। तू किसके परमिशन से मेरे फार्म गए हो।आप मिलो फिर मेरे को।मेरे फार्म में मेरे को परमिशन लेकर आवोगे न,किसको पूछकर वहा जा रहे हो।क्या जानकारी लेना है।अभी कही से भी कुछ भी परमिशन नही लिया हु।क्यों गए हो मेरे फार्म में तुम कौन होते हो मेरे फार्म में जाने वाले।जो खबर चलाना है चला लो, जो छापना है छाप लो।मेरे परमिशन से आए तो सोच लेना।धमकी क्यों नही दूंगा मेरे परमिशन के आए हो तो।अभी कन्हा हो तुम रुको वही।मै किसी भी रूप में चलाऊ तुमको क्या है।

मनुष्य पर अप्रत्यक्ष प्रभाव

ब्रॉयलर और लेयर की बीट में नमी होती है। इस बीट की ओर मक्खियां आकर्षित होती हैं। मक्खियों की भरमार मनुष्य पर अप्रत्यक्ष प्रभाव डालती हैं। पोल्ट्री के आसपास मक्खियां की भरमार होती है। मक्खियां दुधारु पशुओं को परेशान करती हैं। इस कारण पशु दूध में कमी कर देता है। वहीं मक्खियां हॉर्टिकल्चर पर खासा प्रभाव डालती हैं और फ्रूट की क्वालिटी डाउन होती चली जाती है जबकि मनुष्य में डायरिया रोग फैलता है।

ये है नई गाइड लाइन

नए पोल्ट्री फॉर्म के लिए प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड से एनओसी लेनी पड़ेगी। नई हिदायतों के अनुसार पोल्ट्री फॉर्म रिहायशी क्षेत्र से 500 मीटर की दूरी पर होना चाहिए। प्रमुख वाटर संस्थान से 200 मीटर, पानी पीने के स्थान से 1000 मीटर, दैनिक उपयोग की वस्तुएं बनाने वाले उद्योगों से 500, पब्लिक रोड से 200 मीटर दूर, मृत मुर्गियों को खुले में जलाने के बजाए बिजली की भट्टियों में डाला जाए। पोल्ट्री फार्म के आसपास ग्रीन बेल्ट का निर्माण होना चाहिए।

वर्जन 1.दो

 साल ही हुआ है उसको पोल्ट्री फॉर्म संचालित करते।दो साल पहले ग्राम पंचायत ने एनओसी दिया था।अभी और नही लिए है ,नवनीकरण नही किए है।स

सरपंच,ग्राम पंचायत बकमा

वर्जन 2.

मॉनिटरिंग की जिम्मेदारी हमारी नही है। पोल्ट्री फार्म संचालन में प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड से एनओसी लेना पड़ता है।हम लोग को सहमति नहीं रहती है।पंचायत क्षेत्र में संचालन हो रहा हो तो पंचायत से भी एनओसी लेना पड़ता है। ऐसे मामले में अगर कोई शिकायत कलेक्टर को होती है तो भले जांच करते है।

 आरजे यादव वेटनरी ,पशुधन विकास विभाग,महासमुंद

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