एनजीटी के नियमों की अनदेखी... नदी किनारे संचालित हो रहे दर्जनों ईंट-भट्टे| - Savdha chhattisgarh
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एनजीटी के नियमों की अनदेखी... नदी किनारे संचालित हो रहे दर्जनों ईंट-भट्टे|

.छुरा ब्लॉक के ग्राम मडेली में याद राम निषाद कर रहे नदी तट में अवैध ईंट भट्ठे संचालन,तहसीलदार से हुआ है लिखित शिकायत.


परमेश्वर कुमार साहू@छुरा।
इन दिनों ब्लॉक मुख्यालय छुरा से लेकर गांव गांव लाल ईंट भट्ठे का अवैध कारोबार खूब फल फूल रहा है। ईंट पकाने हरे भरे पेड़ पौधों को काटकर भट्ठे में डाला जा रहा है।जिसको जिम्मेदार अधिकारी जानकर भी अनजान बने हुए है।जिसके चलते पर्यावरण को काफी नुकसान तो हो ही रहा है।लेकिन कोई ठोस कार्यवाही नही होने से अवैध ईंट भट्ठे के संचालकों की हौसला लगातार बढ़ते जा रहा है और कवरेज करने वाले मीडिया कर्मियों के ऊपर अपना कृत्य छुपाने तरह तरह के आरोप लगाने से भी बाज नहीं आ रहा है।आपको बता दे की जिले में लाल ईंट निर्माण संबंधी खनिज विभाग से किसी भी प्रकार से किसी को भी परमिशन नही मिला है।लेकिन इसके बावजूद भी बेधड़क लाल ईंट का अवैध कारोबार विभागीय संरक्षण में खूब फल फूल रहा है।पर इस ओर किसी भी जिम्मेदारों का ध्यान नहीं है।लोग ईंट पकाने के लिए हरे भरे पेड़ो की जमकर कटाई कर रहे है और लाल ईंट भट्ठे में खफा रहे है।वही लोग राजस्व जमीन में स्थित पेड़ो के साथ साथ रिजर्व फारेस्ट से भी बहुतायत मात्रा में कच्चे लकड़ियां भी लाकर ईंट पकाने में इस्तेमाल कर रहे है।जिसे रोकने राजस्व विभाग सहित वन विभाग भी रोकने पूरी तरह से नाकाम साबित हो रहे है।छुरा ब्लॉक मुख्यालय से कुछ दूरी पर ग्राम मंडेली, करकरा,सहित फिंगेश्वर ब्लॉक के ग्राम सोनेसिली में भी नियम के विरुद्ध चिमनी भट्ठे का संचालन हो रहा है।जिसमें विभाग की मिलीभगत से इंकार नहीं किया जा सकता।वही दो दर्जन से अधिक गांवों में व्यवसायिक अवैध ईंट भट्ठा का संचालन हो रहा है।जिसकी लिखित शिकायत खनिज विभाग और तहसीलदार छुरा से हुआ है।


मंडेली में याद राम निषाद नदी तट में एनजीटी के नियम के तहत अवैध भट्ठे का कर रहे है संचालन

बता दे कि ग्राम मंडेली में याद राम निषाद घुँघुट्टी सरगी नदी के तट पर सारे नियम के विपरीत लाखो की तादाद में अवैध रूप से लाल ईंट भट्टे का निर्माण किए है।जबकि इनके पास ईंट निर्माण संबधी किसी भी प्रकार से कोई परमिशन विभाग से नहीं है।जो नियम को दरकिनार कर कई सालों से अवैध ईंट भट्ठा के कारोबार में संलिप्त है और एनजीटी  नियम के सारे कानून की धज्जियां उड़ाते हुए नदी के अस्तित्व को खतरे में डाल पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहे है।

जिला भर में ब्लॉक मुख्यालय एवं ग्रामीण क्षेत्र के अधिकांश ईंट-भट्टा तय मानक विहीन तरीके से संचालित किए जा रहे हैं, जबकि न्यायालय और नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने बगैर पर्यावरण सर्टिफिकेट के लिए ईंट-भट्ठों के संचालन पर रोक लगा रखी है। इसके बावजूद इनका संचालन किया जा रहा है। वातावरण प्रदूषित तो हो ही रहा है,अवैध उत्खनन से कटाव होने के कारण नदियों का स्वरूप भी बिगड़ रहा है।तेजी से नदियों का जल सूखने एवं क्षेत्र के जलस्तर गिरने की शिकायत सामने आ रही हैं। वहीं पर्यावरण को भी नुकसान पहुंच रहा है । नदी किनारे होने वाले अवैध उत्खनन के चलते जहां नदियां अपना अस्तित्व खो रहे हैं। बता दें कि ईंट भट्टे से सामान्यत: 750 एसएमपी प्रदूषण होता है, इसको कम करने को लेकर एनजीटी और सरकारें प्रयास कर रही हैं।वहीं लगातार बढ़ रहे प्रदूषण को कम करने के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा आधुनिकीकरण की मुहिम शुरू की गई है। सभी ईट भट्ठों को जिगजैग विधि में परिवर्तित कराने को कहा गया है इस विधि से ईंट भट्ठे से प्रदूषण कम होता है। नियमानुसार सिस्टम अपग्रेड न करने पर बोर्ड एवं प्रशासन के द्वारा बंद किया जा सकता है।

यह है नियम ईंट-भट्टा संचालन के लिए

खनिज विभाग के द्वारा सिर्फ कुम्हार समाज को ही रायल्टी छूट दी जाती है जो आबादी, वनक्षेत्र , निस्तार स्थल, स्कूल, सड़क, शासकीय भवन से तय दूरी पर ईंट-भट्ठा संचालित कर सकते हैं । बावजूद इसके नगर एवं क्षेत्र में बड़ी मात्रा में अवैध रूप से ईंट-भट्टों को संचालन किया जा रहा है, जिसके कारण वातावरण दूषित हो रहा है साथ ही आसपास के क्षेत्र में अवैध उत्खनन किया जा रहा है।

सीमेंट की ईंटें सबसे अच्छा विकल्प 

पर्यावरणविदों को कहना है कि जिस मान से वर्तमान में भवन निर्माण में लाल ईंट का इस्तेमाल हो रहा। इस मान से आने वाले दिनों में क्षेत्र की नदियां अपना अस्तित्व खो देंगी। ईंटों के निर्माण के लिए भट्टा संचालक किसी भी हद तक जा रहे हैं । इसे रोकने के लिए सीमेंट की ईंट का उपयोग करना सबसे अच्छा विकल्प है।

सरकार के द्वारा पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदूषण नियंत्रण को लेकर राज्य सरकार द्वारा संचालित सभी योजनाओं में अब फ्लाई ऐश ईंट के प्रयोग करने का निर्देश जारी किया गया है। भारत सरकार के पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा आपत्ति जताने पर भवन निर्माण विभाग ने चिमनी उत्पादित लाल ईंट के प्रयोग पर रोक लगा दिया गया है।

बाढ़ का बढ़ रहा खतरा 

अवैध रूप से संचालित होने वाले ईंट-भट्टे के संचालक लगातार जहां मर्जी वहां अवैध रूप से उत्खनन कर बड़े पैमाने पर ईंट बना रहे हैं, जिससे नदियों का स्वरूप बिगड़ रहा है और बारिश के दौरान शहरों और गांवों में पानी नदियों का पानी प्रवेश करने लगता है।जिससे बाढ़ के हालत बनने लगते हैं । पिछले साल भी बारिश के कारण कई गांव बाढ़ की चपेट में आ गए थे। यही स्थिति रही तो आने वाले समय में स्थिति ओर बिगड़ सकती है।

वर्जन

जांच कर करेंगे कार्रवाई ईंट-भट्टे संचालन की आप से जानकारी प्राप्त हुआ है।अभी सुशासन तिहार शिविर में हु।

गाविल ध्रुव पटवारी, मंडेली

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