सुशासन तिहार एक छलावा से ज्यादा कुछ नही: गणेश साहू
शासन प्रशासन की लचर व्यवस्था से समय सीमा में आम जनता के समस्याओ का नही हो पा रहा है निदान
परमेश्वर कुमार साहू @गरियाबंद।सुशासन तिहार एक छलावा से ज्यादा कुछ नही है। यह प्रदेश की जनता कीआँखों में धूल झोकने का एक पंद्रह साल पूराना आजमाया तरीका है। जो हमारी व्यवस्था के सड़ांध को ही सामने ला रहा है। पुरानी बोतल में नई शराब को चरितार्थ करती शासन का यह प्रयास भी निरर्थक होने वाला है इसमें संदेह नही। यह कहना है क्षेत्र के समाजसेवी और किसान नेता गणेश साहू का। जिनके अनुसार यह निठल्ले और निकम्मे प्रशासन व्यवस्था को क्लीन चिट देने का प्रयास मात्र है। जो प्रशासन साल के 365 दिन जनता की एक भी नही सुनता वे कथित सुशासन तिहार में कौन सा तोप चला पायेगे जिसमें प्रदेश की भोली-भाली जनता की समस्या का निराकरण हो जावेगा। यह सभी वही समस्या है जो विगत पंद्रह वर्षों से या तो फाईलों में दबे हुए है या फिर डस्ट्रबिन में डाल दी गई थी। कोई भी समस्या नई नही है।
प्रदेश का मुखिया बदल गया है लेकिन प्रशासन में तो वही निकम्मे और निठल्ले लोग कुडंली मारकर बैठे है जिससे कोई काम होता ही नही। यदि प्रशासन काम करता होता तो यह लाखों आवेदन ऑनलाईन और ऑफलाईन के साथ पेटियों से प्राप्त नही होता जो आज शासन को प्राप्त हुई है। वे सभी आवेदन जो सुशासन तिहार के साथ शासन को मिले है किसी ना किसी रूप में विभिन्न विभागों को पूर्व में भी प्राप्त होते रहे है जिसके निराकरण के लिए कोई भी प्रयास नहीं किया गया। और अब भी नही होगे ज्यादा संभावना इसी की है नही तो शिविर आयोजित किये जाने का कोई तुक ही नहीं बैठता। जब आवेदन प्राप्त हो गया तो उसका निराकरण करो क्यो शिविर लगाना और तपती और झूलसती गर्मी में जनता को लाईन में लगाना।
समाजसेवी और किसान नेता गणेश साहू ने पूरे प्रदेश में व्याप्त प्रशासनिक उदासीनता और निरंकुशता के इस लालफिताशाही से बाहर निकालने की आवश्यकता पर बल देते हुए अपनी आपबीती सुनाई और बताया कि कैसे एक पंचायत के भ्रष्ट्राचार की शिकायत करने पर यही प्रशासन उल्टे उनका ही जाँच करने पहुँच गया और आज शिकायतकर्ताओं को ही तरह-तरह से परेशान करने पर आमादा है। भ्रष्ट्राचारियों को आज खुला संरक्षण दिया जा रहा है और दूसरी तरफ भ्रष्ट्राचार को बिल्कुल भी बर्दास्त नही करने की कसमें खाई जा रही है। जो दिखाता है कि इस सरकार की कथनी और करनी में कितना अंतर है। इसलिए ऐसे आडंबरों से आमजन निराश है।
किसान नेता श्री साहू ने गरियाबंद जिला प्रशासन को प्रदेश का सबसे लचर व्यवस्था बताते हुए बताया कि सरगी नदी पर पुल बनाकर उसे किसी भी गाँव से नही जोड़ने जैसा उपद्रव भी यहा का प्रशासन करता है और जनता के अनेक प्रयासों को पतीला लगाने का सीधा खेल भी खेलते हुए जबावदेही और जिम्मेदारी से भाग खड़ा होता है। प्रदेश के उपमुख्यमंत्री को भी यह बताया जाता है और नतीजा वही ढाक के तीन पात जैसा ही होता है। इसलिए सुशासन तिहार एक छलावा है जो लोगो की आँखों में धूल झोकने का एक सरकारी प्रयास भर है