पत्रकार गृह निर्माण सहकारी समिति मचेवा का पंजीयन मिथ्या जानकारी देकर कराने का आरोप है मनगढ़ंत और बेबुनियाद - Savdha chhattisgarh
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पत्रकार गृह निर्माण सहकारी समिति मचेवा का पंजीयन मिथ्या जानकारी देकर कराने का आरोप है मनगढ़ंत और बेबुनियाद


 


महासमुन्द। पत्रकार गृह निर्माण सहकारी समिति मचेवा (पं. क्र. 823/2.6.2020) के संबंध में कतिपय विघ्नसंतोषी लोगों द्वारा भ्रम फैलाया जा रहा है। जो निष्पक्ष जांच से स्पष्ट हो जाएगा। इसकी उच्च स्तरीय जांच के लिए सहकारिता मंत्री और पंजीयक सहकारी संस्थाएं छत्तीसगढ़ को पत्र लिखा गया है। इस संबंध में संस्था के अध्यक्ष आनंदराम पत्रकारश्री, उपाध्यक्ष दिनेश पाटकर, जिला सहकारी संघ प्रतिनिधि संजय महंती, पूर्व अध्यक्ष व संचालक सदस्य उत्तरा विदानी, संचालक सदस्यगण विपिन दुबे, जसवंत पवार, मीना बाबूलाल साहू, धर्मीन पोषण कन्नौजे, राखी रत्नेश सोनी, अनिता संजय यादव, लोकेश साहू ने मीडिया को जारी बयान में कहा है कि मिथ्या जानकारी देकर संस्था का पंजीयन कराने का आरोप बेबुनियाद है। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के तथाकथित पत्रकारों द्वारा तथ्यों की गलत व्याख्या करके उप पंजीयक सहकारी संस्थाएं महासमुन्द को दिग्भ्रमित करने का प्रयास किया जा रहा है। इसके खिलाफ संस्था द्वारा कानूनी कार्यवाही की जा रही है। पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर और लाभ नहीं मिलने से बौखलाहट में शिकायत करने वाले विघ्नसंतोषी लोग छत्तीसगढ़ के मूल निवासी नहीं हैं।

पलायन कर आए हुए लोग छत्तीसगढ़ी लोगों पर हुकूमत करने का असफल प्रयास कर रहे हैं। इसकी जानकारी भी छत्तीसगढ़ी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को दी गई है। ये वही लोग हैं, जो मुख्यमंत्री का बहिष्कार करने की धमकी देकर जिला प्रशासन पर अनर्गल दबाव बना रहे हैं। इस मामले में भी जांच अधिकारी से मिलीभगत करके तथ्यों को तोड़-मरोड़कर प्रस्तुत किया गया है। संस्था के किसी भी सदस्य ने कोई मिथ्या जानकारी नहीं दी है। कुछ बिंदुओं पर जांच अधिकारी ने शिकायतकर्ताओं से मिलीभगत कर संस्था का समुचित पक्ष जाने बिना, शिकायतकर्ताओं के तथाकथित फर्जी बयान (जो जांच रिपोर्ट में संलग्न ही नहीं है) के आधार पर गलत व्याख्या की है। जिससे समूची जांच कार्यवाही संदेहास्पद है। यह जांच, समिति के 27 सदस्यों वाले पत्रकार परिवार को स्वीकार्य नहीं है।

यह है कानूनी प्रावधान

संस्था की उपविधि 5 (10) में स्पष्ट उल्लेखित है कि " एक परिवार से पति/पत्नी या उसके अव्यस्क पुत्र/पुत्री में से कोई भी एक सदस्य ही संस्था का सदस्य बन सकेगा। पत्रकारिता क्षेत्र में कार्यरत परिवार ही सदस्यता के लिए पात्र होंगे।" इसी के आधार पर 33 प्रतिशत महिला सदस्यों की अनिवार्यता की पूर्ति के लिए पत्रकारों की पत्नी को सदस्य बनाया गया है। पंजीयन के पूर्व भरे गए सदस्यता आवेदन पत्र में भी इसका स्पष्ट उल्लेख है। प्रारूप क में परिवार का व्यवसाय पत्रकारिता लिखा हुआ है, जिसकी गलत व्याख्या कर विघ्नसंतोषी लोग उपपंजीयक और जनसामान्य को दिग्भ्रमित कर संस्था और प्रतिष्ठित पत्रकार परिवारों को बदनाम करने पर आमादा हैं। ऐसा कृत्य करने वालों के खिलाफ दंडात्मक कार्यवाही के लिए पृथक से न्यायालय में मुकदमा दर्ज कराई जाएगी। 


 दबावपूर्वक बनाया मिथ्या जांच रिपोर्ट 

अध्यक्ष आनंदराम पत्रकारश्री ने पुख्ता सूत्रों के हवाले से बताया है कि शिकायत जांच के लिए नियुक्त सहकारिता विस्तार अधिकारी जिला मुख्यालय से नदारद रहते हैं। राजधानी रायपुर से कभी कभार ही महासमुन्द आते हैं। साथ ही महासमुन्द ब्लॉक के अनेक सहकारी समितियों के प्राधिकृत अधिकारी के प्रभार में हैं। जहां की वित्तीय गड़बड़ियों को उजागर करने की धमकी देकर कतिपय इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के तथाकथित पत्रकारों ने मनगढ़ंत जांच प्रतिवेदन जांच अधिकारी से प्रस्तुत कराया है। जिसकी निष्पक्षता सवालों के घेरे में है।

ये हैं ज्वलंत सवाल.

 कार्यक्षेत्र का चिन्हांकन प्रस्तावित भूखण्ड मचेवा को केंद्रित कर किया गया है। अर्थात समिति का कार्यक्षेत्र ग्राम पंचायत मचेवा तक सीमित है। प्रवर्तक सदस्य वहीं के निवासी हों, इसकी बाध्यता नहीं है। यदि ऐसा होता तो तत्कालीन उप पंजीयक पंजीयन ही नहीं कर सकते थे। जैसे त्रिमूर्ति गृह निर्माण सहकारी समिति महासमुन्द का कार्यक्षेत्र महासमुन्द है। तब दूसरे क्षेत्र/ महासमुन्द से बाहर के लोग यहां सदस्य कैसे बने हैं ? 


2. कॉलोनी बसने पर प्रवर्तक सदस्य स्वमेव कार्यक्षेत्र के स्वाभाविक निवासी हो जाते हैं। किसी भी गृह निर्माण सहकारी समिति के प्रवर्तक सदस्य उस क्षेत्र के निवासी भला कैसे हो सकते हैं, यह तो अव्यवहारिक उपविधि है ?


3. यदि मिथ्या शिकायत को थोड़ी देर के लिए सही भी मान लिया जाए तो तत्कालीन संगठक और उप पंजीयक क्या निरक्षर थे, जिन्होंने विधि विरूद्ध कथित तौर पर समिति का पंजीयन कर दिया ?


4. यदि थोड़ी देर के लिए यह भी मान लिया जाए कि कथित तौर पर गलत जानकारी दी गई है, जिस पर पत्रकार गृह निर्माण समिति का पंजीयन हुआ। तब भी यह ज्वलंत सवाल है कि जिस अधिकारी ने निर्वाचन संपन्न कराया है, वही अधिकारी कुछ खुरापाती पत्रकारों के दबाव में जांच अधिकारी की हैसियत से पंजीयन में गड़बड़ी बता रहे हैं। तब उन्होंने कथित तौर पर गलत ढंग से पंजीकृत समिति का पंजीयन पश्चात प्रथम निर्वाचन क्या आंखें बंद करके करा दिया ? तब उन्हें नियम का ज्ञान नहीं था ?

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