भ्रष्टाचार और बच्चो के भविष्य के साथ बेईमानी:बच्चो के स्कूल और शासन की योजना में आरईएस विभाग के ईई ने किया खिलवाड़,कमीशन बाजों और अपने चहेतों को बनाया ठेकेदार
स्कूल का छत टूटा पड़ा है ,आखिर बरसात के सीजन में पढ़ेंगे बच्चे कहा, डीईओ से लेकर कलेक्टर को भी ध्यान नहीं,क्या कलेक्टर मासूम बच्चों पर दिखाएंगे दरियादिली ,स्कूल जतन योजना की पढ़े पूरी कहानी...
परमेश्वर कुमार साहू@गरियाबंद।स्कूल जतन योजना भ्रष्टाचार का एक बड़ा नाम गरियाबंद जिले में बन चुका है।जिस पर लगाम लगाने में स्थानीय जनप्रतिनिधि से लेकर प्रशासन पूरी तरह से नतमस्तक होते दिख रहा है।जिसके कारण स्कूली बच्चों के भविष्य के साथ खुलकर खिलवाड़ हो रहा है।एक तरफ शासन बच्चो के शिक्षा और सर्वांगीण विकास को लेकर करोड़ो अरबों की राशि खर्च कर रहे है तो वही दूसरी ओर जिम्मेदार सरकार की अति महत्वपूर्ण योजना का बंटाधार करने में लगे है।आपको बता दे की शासन द्वारा स्कूल जतन योजना के तहत जर्जर हो चुके स्कूल भवन के निर्माण व मरम्मत कार्य के लिए आरईएस विभाग को जिम्मेदारी दिया था जिसके लिए टेंडर उक्त विभाग के माध्यम से हुआ था।लेकिन समय सीमा में स्कूल मरम्मत कार्य न तो हो पाया और न ही उच्च विभाग और शासन के निर्देश का पालन।26 जून से स्कूल संचालित होने वाला हो गया है पर अभी तक कई स्कूल खंडर में तब्दील है। जबकि बरसात का सीजन है।अब सवाल ये है की बच्चे पढ़ाई के लिए बठेंगे तो बैठेंगे कहा।किसी भी जिम्मेदार को इस दिशा में न तो ध्यान है और न अपने ड्यूटी के प्रति सजग है।नतीजन बच्चे इस सत्र में बरसात के सीजन में खुली छत के नीचे पढ़ाई करने मजबूर है।
बताना लाजमी है की इस योजना के तहत जिले भर के अनेकों स्कूलों का मरम्मत सहित कइयों कार्य होना था।जिसमे आरईएस के ईई ने लापरवाही व ठेकेदारों के साथ कमीशन का खेल खेलते हुए एक बड़े भ्रष्टाचार को अंजाम देने का कार्य किया है।मरम्मत के नाम पर गुणवत्ताहीन कार्य कर शासन की योजना पूरी तरह फेल करने में जिम्मेदारों ने कोई कसर नहीं छोड़ा है और कमीशन के लिए अपने चहेतो ठेकदार बना दिया।जिसमे जिले के आदिवासी बाहुल्य ब्लॉक छुरा में भ्रष्टाचार का सबसे बड़ा खेल खेला गया है।बच्चो का स्कूल खुल गया है और भवन खंडहर में तब्दील हो चुका है।इसकी कई तस्वीर आप देख सकते है।वही विभाग के गैरजिम्मेदार अधिकारी की लापरवाही इस कदर है की कइयों स्कूलों में कार्य अभी तक चालू नही हो पाया।जब इस मामले को लेकर गरियाबंद कलेक्टर और आरईएस विभाग को जानकारी लेने फोन किया तो उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया।